न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: बिहार में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव का शंखनाद होने वाला है. ऐसे में अभी से ही सभी पार्टियों ने चुनावी रण में उतरने की तैयारी तेज कर ली है. बिहार की राजनीति अपने जातीय समीकरण कारण काफी मशहूर है. ऐसे में सभी पार्टी ज्यादातर जाती के वोट बैंक को साधने में जुटी हुई है. ऐसे में सभी पार्टी रणनीति बना रही है. वहीं जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने राज्य में जातीय समीकरणों को साधना शुरू कर दिया है.
प्रशांत किशोर कहते है कि वह बिहार में जातिगत राजनीति को तोडना चाहते है. ऐसे में उन्होंने ऐसा कई बार कहा है कि जब देश की राजधानी दिल्ली में जातिगत राजनीति का बांध टूट सकता है तो बिहार में क्यों नहीं. ऐसे में प्रशांत पीछे दो सालों से सर्वसमाज को लेकर चल रहे है. लेकिन पीछे उप्चुआव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में अब उनकी रणनीति में बदलाव होते हुए देखा गया है.
PK ने राजपूत को बनाया राष्ट्रीय अध्यक्ष
प्रशांत किशोर की राजनीति फिलहाल जातिगत समीकरण के इर्द-गिर्द घूमते हुई नजर आ रही है. इसका उदहारण उनके पार्टी में हुई हालिया नियुक्तियां है. इसे साफ़ नजर आ रहा है कि पीके जातिगत समीकरण को साधने की कोशिश कर रहे है. प्रशांत किशोर ने आज यानी 19 मई को पूर्णिया के पूर्व सांसद पप्पू सिंह को अपनी पार्टी जन सुराज पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की घोषणा की. बता दें कि पप्पू सिंह राजपूत समुदाय से आते है. एक दिन पहले यानी 18 मई को पूर्व नौकरशाह और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की पार्टी 'आसा' का पीके ने अपनी पार्टी जन सुराज में विलय करवा लिया था. बता दें कि आरसीपी सिंह कुर्मी समुदाय से आते है. यही नहीं वह एक समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीबी थे. इसके अलावा यह JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके है.
PK है ब्राह्मण, दलित को बनाया प्रदेश अध्यक्ष
बता दें कि प्रशांत किशोर ब्राह्मण समुदाय से आते है. पिछले साल ही 2 अक्टूबर को जन सुराज पार्टी के स्थापना दिवस पर ही PK ने दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले मनोज भारती को प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था. बता दें कि मनोज भारती पूर्व राजनयिक हैं. इसके अलावा वह चार देशों के राजदूत रह चुके है. इसके अलावा उन्होंने पहले ही अशफाक अहमद को भी पार्टी में शामिल कर लिया था. अशफाक अहमद मुस्लिम समुदाय से आते है. पीके ने पार्टी की लंबी-चौड़ी कार्यकारिणी बनाकर पिछले साल ही यह संकेत दे दिया था कि वह बिहार में राजद और भाजपा-जेडीयू का विकल्प बनने के लिए सभी जातियों को साथ लेकर चलने के लिए तैयार है.
क्या है PK की टीम का जातीय गणित?
पीके ने अपनी कार्यकारिणी में पिछले साल कुल 125 लोगों को जगह दी थी. इनमे 25 अति पिछड़ा समाज, 27 पिछड़ा समुदाय, 23 सामान्य वर्ग 25 अल्पसंख्यक समाज और 20 दलित समुदाय के लोग शामिल थे. पीके के इस टीम में 20 महिलाओं को भी जगह दी गई थी. तीन लोगों को अनुसूचित जनजाति समाज से भी शामिल किया गया था. इसके पीछे पीके का मकसद साफ़ था वह सर्व समाज को प्रतिनिधित्व देकर सभी के वोट में सेंधमारी कर उसे हासिल करना चाहते है. इसमें बड़ी बात तो यह है कि इस टीम में पीके ने यादव समुदाय से कल 12 लोगों को शामिल किया था.
लालू के 'माय' को तोडना चाहते है पीके
बता दें कि लालू यादव के माय समीकरण को प्रशांत किशोर तोड़ना चाहते हैं. इसकी कारण उन्होंने माय से यानी मुस्लिम और यादव समुदाय से कुल 37 लोगों को अपनी टीम में जगह दी थी. ऐसे में अब उन्होंने आरपीसी सिनघ और पप्पू सिंह को अपने पार्टी के साथ लेकर वह जातीय राजनीति को नई धरा देने की कोशिश कर रहे है. इसे पीके के जातीय वोट बैंक में सेंधमारी करने के प्लान के तौर पर देखा जा रहा है.