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रांची/डेस्क: यूपी के मेरठ के ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र के मधाव्पुरम में पुलिस चौकी से बम दो सौ मीटर दूर किराये के मकान में 25 हजार जा इनामी और हिस्ट्रीशीटर बदमाश मिलकर पिस्टल फैक्ट्री चला रहे थे. देर रात शुक्रवार को स्वाट टीम और थाना पुलिस ने छापेमारी कर फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया. दो आरोपियों को पुलिस ने मौके से गिरफ्तार किया है और पिस्टल-तमंचे और कारतूस बरामद किये हैं.
नावेद निवासी रिहान गार्डन और जुबैर निवासी लोहियानगर गिरफ्तार
पुलिस लाइन में शनिवार शाम प्रेसवार्ता में एसपी ट्रैफिक राघवेंद्र कुमार मिश्रा, सीओ ब्रह्मपुरी सौम्या अस्थाना ने जानकारी दी कि माधवपुरम सेक्टर चार में किराए के मकान में पिस्टल बनाने की सुचना मिल रही थी. ब्रह्मपुरी पुलिस के साथ स्वाट टीम ने छापा मारा. मौके से नावेद निवासी रिहान गार्डन और जुबैर निवासी लोहियानगर को गिरफ्तार किया गया. इनके पास से दो तम्चे, .32 बोर की एक पिस्टल, एक ड्रिल मशीन, पिस्टल की बट, कारतूस, एक ग्राइंडर मशीन, स्लाइड, 46 स्प्रिंग्स, 12 मैग्जीन, बैरल समेत भारी मात्रा में असलाह बनाने के उपकरण बरामद किए.
पिस्टल के पैसे जो भी मिलते उसे आपस में चारों बांट लेते
पुलिस ने जब पूछताछ किया तो आरोपी नावेद ने बताया कि पिस्टल बनाने का सामान हिस्ट्रीशीटर परवेज उर्फ फर्रो निवासी मोहल्लाह सराय बहलीम थाना कोतवाली और 25 हजार का इनामी शादाब निवासी डी-ब्लॉक खुशहालनगर लाकर देते हैं. इसके साथ ही बताया कि हम दोनों पिस्टल यहीं बनाते थे और परवेज, शादाब यहां से पिस्टल ले जाता था. पिस्टल को बेचकर जो भी पैसे मिलते थे उसे आपस में चारों बांट लेते थे. दोनों आरोपियों ने जानकारी दी कि अब तक कई पिस्टल बेच चुके हैं.
एक दिन में तैयार कर देते थे पिस्टल
पुलिस ने जब पूछताछ किया तो तो दोनों आरोपियों ने बताया कि दोनों मिलकर एक ही दिन में एक पिस्टल तैयार कर देते हैं. बीते दो महीने से पिस्टल बनाने का काम कर रहे थे. एक साल पहले भी नावेद हथियार फैक्ट्री पकड़े जाने के दौरान जेल भेजा गया था. जमानत पर छुटने के बाद उसने फिर से पिस्टल बनाना शुरू कर दिया था.
20 से 25 हजार रूपये में बेचते थे पिस्टल
पकडे गए हथियार तस्करों ने जानकारी दी कि 20 से 25 हजार रूपये में एक पिस्टल को बेच देते थे. आरोपी मेरठ के आसपास के जिलों में 15 से ज्यादा पिस्टल सप्लाई कर चुके थे. बता दें कि माधवपुरम पुलिस चौकी से महज दो सौ मीटर की दूरी पर पिस्टल फैक्ट्री दो महीने से चल रही थी. लेकिन पुलिस को इस बात की जरा सी भी भनक नहीं थी.