सरकार की नलजल योजना सफेद हाथी बनी योजना का लाभ ग्रामीणों के बजाय ठेकेदारों और अधिकारियों को मिल रहा
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: गर्मी का मौसम आते ही आम लोग पानी के जुगाड़ में हो रहे पानी-पानी, विभाग बना है मूक दर्शक बना हुआ है. जिले में पानी के जलस्तर भी पताल लोक की ओर जाने लगा है. जिले भर के अधिकांश तालाब, कुंआ, नदी और नाले का जलस्तर काफी नीचे चल गया है. लगातार दूसरे वर्ष भी औसत से कम बारिश होने के कारण इस बार जल संकट कुछ ज्यादा है. कई इलाकों में तो अभी से ही इसकी आहट दिखने लगी है. पताल लोक की ओर भूजल जाने से इस बार गर्मी के शुरूआत में ही पेयजल के लिए हाहाकार मचने लगी है. जिले के कई इलाकों में भूजल का स्तर तेजी से गिर रहा है. लेकिन भूजल स्तर को रिचार्ज करने और जल संरक्षण से जुड़ी योजनाओं का हाल बहुत बुरा है.
हजारीबाग जिले की आबादी बढ़कर लगभग 20 लाख होने को है. उसके अनुपात में जल उपलब्धता नहीं है. जिले में लगातार डार्क जोन बढ़ रहे हैं, जिससे पानी की समस्या गंभीर हो रही है. दरअसल, हजारीबाग छोटा नागपुर पठार का हिस्सा है. जो पहाड़ों और घाटियों से घिरा है. जिले के तीन प्राकृतिक विभाजन है.
पहला मध्यवर्गीय पत्थर दूसरा निचला पठार तथा दामोदर घाटी. जिला मुख्यालय मध्यवर्गीय पठार का एक हिस्सा है. जो समुद्र तल से 2000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. वहीं मध्यवर्गीय पठार के पश्चिमी भाग को छोड़कर पूरा क्षेत्र निचले पठार से घिरा हुआ है. जैसे चुरचू, चरही, बरही, बरकट्ठा क्षेत्र निचले पठार से घिरा है. जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 1300 फीट है. दामोदर घाटी इस जिले के दक्षिणी भाग में है. रामगढ़ एक हजार फीट नीचे है. जिले का 45 प्रतिशत हिस्सा वन क्षेत्र है. क्षेत्र में दामोदर, कोनार, बड़ाकर, सेवाने, बोकारो जैसी नदियां हैं. जिस पर जिला स्तर से का कोई भी बांध नहीं बनाया गया है. जिससे बरसात का पानी संग्रहित नहीं हो पाता है और वाटर लेवल रिचार्ज नहीं हो पता है. जिसके कारण जलस्तर में गिरावट देखने को मिलती है. छड़वा डैम 1952 में बना है. जो शहर से 6 किलोमीटर की दूरी पर है. वहीं कोनार बांध 1955 में बनाया गया था। इसकी ऊंचाई 49 मीटर है. यह 80 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में यहां सिंचाई के लिए जल प्रदान करता है.
वहीं गोंदा डैम का निर्माण 1954 में हुआ है. छड़वा डैम से 36000 गैलन पानी शहर वासियों को आपूर्ति की जाती है. हजारीबाग का भूगर्भ जलस्तर साल भर में दो प्रतिशत नीचे गिरा है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक का अभियंता मनोज कुमार मुंडारी ने बताया कि फिलहाल 14 नहीं बल्कि 16 मीटर नीचे से पानी निकलना पड़ रहा है. जिले में 22 हजार 980 नलकूप की व्यवस्था है. सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट में दो से पांच मीटर की गिरावट पाई गई है. मनरेगा, भुमि संरक्षण विभाग और वन विभाग विभाग से हर साल चेक डैम बनाया गया है. इसका कोई आंकड़ा विभाग के पास नहीं है. लोगों का कहना है कि यह अधिकांश कागजों पर ही बना है. स्वच्छता विभाग के अनुसार जिले में 16 प्रखंड और 248 पंचायत हैं. दो पंचायत को हर घर जल पंचायत घोषित किया गया है.
जिले में 1186 गांव हैं. जिनमें 65 को हर घर नल से जोड़ने का रिपोर्ट किया गया है. जबकि 43 गांव को सर्टिफिकेट दिया गया है. जिले में 3 लाख 41 हजार 450 और हाउसहोल्ड घर है जिसमें 4 अप्रैल में 4907 में 4901 जून में 9628 जुलाई में 9104 अगस्त में 9139 सितंबर में 9221 अक्टूबर में 2025 नवंबर में 6557 दिसंबर में 8751 जनवरी में 7873 फरवरी में 6619 मार्च में 3396 कल 89051 नलकुल नलकूप बनाए गए हैं. अप्रैल 2023 के पहले 1978 घरों में कनेक्शन दिया गया था. ग्रामीणों की मानें तो सरकार की नलजल योजना सफेद हाथी बनकर रह गया है. इस योजना का लाभ ग्रामीणों के बजाय ठेकेदारों, विभागीय अधिकारियों को मिला है. यदि इस मामले की किसी उच्च स्तरीय कमिटी से निष्पक्ष जांच कराई जाएगी तो सच्चाई सामने आएगी.