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सिमडेगा/डेस्क: आजादी का अमृत महोत्सव और मंगल तक की यात्रा. एक विकासशील देश होने का का एहसास जरूर देती है. लेकिन यह एहसास सिमडेगा के कर्रादामईर जैसे गांव तक जाकर काफ़ूर हो जाते हैं जहां आज भी प्रसूता और मरीजों को जान पर खेल कर इलाज मिल पाता है.
मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर सिमडेगा के बानो प्रखंड अंतर्गत कर्रादामईर गांव आज भी विकास से कोसों दूर मूलभूत सुविधाओं के अभाव में सरकार और सरकारी तंत्र की उपेक्षा का दंश झेल रहा है. आज एक बार फिर यहां मौत से लड़कर जिंदगी की जंग जीतने की करती जद्दोजहद करती एक दो प्रसूता और एक नवजात नजर आया. कर्रादामईर गांव में गर्भवती हेमंती देवी के लिए मां बनना किसी युद्ध लड़ने से कम नहीं साबित हुआ. अहले सुबह करीब 3 बजे जब उन्हें प्रसव पीड़ा शुरू हुई, तो पूरा गांव अंधेरे और सन्नाटे में डूबा था. गांव के पास पांगुर नदी उफान पर थी. इस नदी में कोई पुल नहीं, कोई रास्ता नहीं. और तो और मोबाइल में नेटवर्क नहीं. एम्बुलेंस को फोन करना भी मुमकिन नहीं था.तब गांव वालों ने मिलकर लकड़ी की खटिया से हेमंती देवी को लेकर निकले. पांगुर नदी का पानी कम होने तक सुबह का इंतजार करना पड़ा. नदी पार करने के बाद, गांव के भुनेश्वर पाईक के ऑटो से उन्हें लगभग सुबह 8:30 बजे हुरदा स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया. जहां उसने बच्चे को जन्म दिया.
इसी गांव की एक और गर्भवती महिला मनीषा जोजो को बीती देर रात डिलेवरी का दर्द शुरू हुआ और रात भर दर्द से चिखती चिल्लाती रही सुबह 4 बजे एक नन्हे से बेटा को जन्म दिया. बच्चे के पिता दिलीप कांडुलना का कहना हैं, 7 बजे के बाद रात को हाथी के डर से किसी को बुला कर लाने का हिम्मत नहीं हुई और रात को लाइट, और टॉवर नहीं होने के कारण गांव में रात भर अपने अपने घर के बाहर फटका फोड़ते रहे. जिससे हाथी उनके गांव तक नहीं आए. सुबह उजाला होने के बाद परिजन जच्चा और नवजात बच्चा को लेकर पैदल पांगुर नदी पार किए. इसके बाद अस्पतजल जाने के लिए सवारी मिला.
यह कोई पहली घटना नहीं है. टोनिया कर्रादामईर गांव के लोग सालों से पुल और मोबाइल नेटवर्क की मांग कर रहे हैं. जलडेगा प्रखंड के परबा टोनिया में जिओ टावर तो बन गया है, लेकिन पहाड़ों की वजह से यहां नेटवर्क नहीं आता.
बिन्तुका पंचायत के पांगुर गांव में एयरटेल टावर भी अब बेअसर हो गया है. नेटवर्क की हालत ऐसी है कि इमरजेंसी में भी मदद नहीं मिलती. गांववालों का कहना है कि इस क्षेत्र के लिए बीएसएनएल का एक समर्पित टावर ही एकमात्र समाधान हो सकता है.
सरकार और प्रशासन से ग्रामीणों की मांग है कि पांगुर नदी पर शीघ्र पुल का निर्माण हो टोनिया कर्रादामईर और आसपास के इलाकों में मोबाइल नेटवर्क की स्थायी व्यवस्था गांवों तक हर समय आपातकालीन सेवाएं सुचारु रूप से पहुंच सकें, इसके लिए मूलभूत ढांचे का विकास यह घटना सिर्फ एक महिला की पीड़ा नहीं, बल्कि उस पूरे क्षेत्र की गूंगी चीख है, जिसे अब सुना जाना चाहिए.