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रांची/डेस्क: लीजिए, विपक्ष के लिए एक और बुरी खबर आ गयी है! बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर अभी विपक्ष हंगामा कर ही रहा है कि चुनाव आयोग ने ऐलान कर दिया है कि बिहार की ही तरह अब पूरे देश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण होगा. चुनाव आयोग इसको लेकर कभी इसको लेकर तिथियों का ऐलान कर सकता है. बता दें कि बिहार में जो वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण काम चल रहा है, उसके विरोध वहां तो राष्ट्रीय पार्टियों से लेकर स्थानीय पार्टियां तो कर ही रही हैं. लेकिन विरोध के सुर दूसरे राज्यों में भी सुनाई पड़ने लगे हैं. अभी दो दिन पहले ही झारखंड में झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग को आंखें तरेरी थीं कि वह राज्य में ''ऐसा खेला' नहीं होने देंगे. बिहार के बाद अगले साल भी कई राज्यों में भी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, वहां की भी प्रमुख पार्टियों के यही सुर हैं कि अपने राज्य में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण नहीं होने देंगे.
क्या है चुनाव आयोग की योजना?
निर्वाचन आयोग ने बिहार के चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य में काफी विसंगतियां पायी हैं. इससे उसने यह अनुभव किया कि यह सिर्फ एक राज्य की समस्या नहीं, बल्कि पूरे देश की समस्या है. इसलिए यह पुनरीक्षण कार्य पूरे देश में होना चाहिए. आयोग ने कहा कि मतदाता सूची की शुद्धता, सुरक्षा और पारदर्शिता पूरे देश के लिए आवश्यक है. इसलिए यह फैसला किया है कि पूरे देश में SIR की प्रक्रिया की जाएगी. हो सकताहै इसके लिए जल्द एक शिड्यूल जारी कर दिया जाये.
सड़क पर चल रहा विरोध पहुंच चुका है संसद तक
मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया को विपक्षी पार्टियां अलोकतांत्रिक बताते हुए पहले तो सड़कों पर ही इसका विरोध करती रही हैं.. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद भी उससे एक दिन पहले सड़कों पर जोरदार विरोध प्रदर्शन भी किया. अब यह मामला संसद में भी पहुंच चुका है. इसको लेकर संसद के मानसून सत्र हंगामा भी मचा हुआ है.
विरोध की क्या वजह?
बिहार में चल रहे मतदाता सर्वेक्षण पर चुनाव आयोग का पक्ष समझ लेना चाहिए तभी यह स्पष्ट हो पायेगा कि विपक्षी पार्टियां इसका विरोध क्यों कर रही है. चुनाव आयोग ने मतदाता पुनरीक्षण के दौरान सूची में कई विसंगतियां पायी हैं. ये विसंगतियां भी सामान्य नहीं है. वर्तमान की मतदाता सूची में आयोग ने पाया कि जो मतदाता अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनके नाम मतदाता सूची में है. वैसे मतदाता जो अब स्थायी रूप से बिहार छोड़कर दूसरे राज्यों में बस गये हैं, उनके भी नाम मतदाता सूची में हैं. मतदाता सूची में विदेशियों (बांग्लादेशियों-रोहिंग्या) की भरमार है. अब आप ही बताइये चुनाव आयोग अगर मतदाता सूची का पुनरीक्षण कर रहा है तो क्या गलत कर रहा है. और आप यह भी समझ गये होंगे कि विपक्षी पार्टियां क्यों इसका विरोध कर रही है. शायद उन्हें लगता है कि जो विसंगतियां मतदाता सूची में हैं और शायद जिनका लाभ अब तक उन्हें मिल रहा था, अब नहीं मिल पायेगा. और इसी को लेकर विपक्षी दल हो हल्ला कर रहे हैं और चुनाव आयोग की प्रक्रिया को असंवैधानिक बता रहे हैं. उनके हो-हल्ला करने की वजह भी साफ है कि किसी तरह से इस प्रक्रिया को रुकवाया जा सके. लेकिन लगता है चुनाव आयोग पर विपक्ष की चिल्ल-पौं का असर नहीं हुआ है इसलिए उसने पूरे देश के लिए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने का फैसला ले लिया.