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रांची/डेस्क: बोकारो में वन भूमि व राजस्व विभाग की 103 एकड़ जमीन फर्जी दस्तावेज पर खरीदने के मामले में नया खुलासा हुआ हैं. साल 2021 में वन भूमि को खरीदने के लिए राजवीर कंस्ट्रक्शन द्वारा उमायुष मल्टीकॉम प्रालि के खाते में चार अलग-अलग तारीखों पर चार करोड़ से अधिक राशि भेजी गई थी. उमायुष के खातों की पड़ताल में पता चला कि 8 व 10 फरवरी 2021, 4 व 26 मार्च 2021 को राजवीर कंस्ट्रक्शन के खाते से उमायुष मल्टीकॉम के खाते में पैसे ट्रांसफर हुए. इसके बाद ही जमीन की रजिस्ट्री उमायुष के नाम पर हुई. सीआईडी इस वन भूमि घोटाले की जांच कर रही हैं.
ऐसे दिया गया फर्जीवाड़ा को अंजाम
जानकारी के अनुसार, बोकारो के तेतुलिया गांव में 95.6 एकड़ अधिसूचित संरक्षित वन है और अन्य 10 गांवों की वन भूमि के साथ वर्ष 1962 में हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड (वर्तमान में बोकारो स्टीत लिमिटेड) को हस्तांतरित कर दी गई थी. बीएसएल ने 1962 में तेतुलिया गांव में उक्त वन भूमि को वन विभाग को यह कहते हुए वापस करना चाहा था कि ये उनके सीमांकन के बाहर है, लेकिन सरकारी मंजूरी के अभाव में ऐसा नहीं हो सका. जिसके बाद भूमि बीएसएल के पास ही रही. बीएसएल अधिकारियों की मिलीभगत से कुछ निजी व्यक्त्तियों ने वर्ष 2012 में हिब्बानामा के आधार पर वन और अन्य सरकारी भूमि पर मालिकाना हक का दावा किया. उन्होंने कहा कि उनके दादा ने वर्ष 1933 में एक सर्टिफिकेट केस संख्या में शामिल भूमि की नीलामी कार्यवाही में खरीदी थी.