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हजारीबाग/डेस्क: हजारीबाग जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. प्रसव पीड़ा में अस्पताल पहुंची एक महिला को नर्सों ने यह कहकर भर्ती करने से इनकार कर दिया कि उसके गर्भ में पल रहे शिशु की मौत हो चुकी है. हालांकि, उसी महिला ने बाद में एक निजी अस्पताल में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया.
पीड़िता मनीषा देवी के पति विनोद साव के अनुसार, वे चलकुशा प्रखंड से करीब 120 किलोमीटर का सफर तय कर अपनी पत्नी को लेकर शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल पहुंचे थे. वहां नर्सों ने बताया कि मनीषा का हीमोग्लोबिन स्तर काफी कम है और गर्भस्थ शिशु की पहले ही मृत्यु हो चुकी है.
सेंट कोलंबा मिशन अस्पताल में दिया स्वस्थ शिशु को जन्म
शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से मिले इस झटके के बावजूद विनोद साव ने हार नहीं मानी और अपनी पत्नी को लेकर सेंट कोलंबा मिशन अस्पताल पहुंचे जो एक निजी अस्पताल है. वहां चिकित्सकीय जांच के बाद मनीषा ने एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया. बच्चे के सुरक्षित जन्म के बाद भावुक विनोद साव ने अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि मैं सेंट कोलंबा मिशन अस्पताल के डॉक्टरों का आभारी हूं, जिन्होंने मेरी पत्नी और बच्चे की जान बचाई.
DC शशि प्रकाश सिंह ने दिया जांच का आदेश
मामले के सामने आने के बाद घटना की गंभीरता को देखते हुए हजारीबाग के DC शशि प्रकाश सिंह ने शुक्रवार को शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के अधीक्षक को मामले की जांच के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों का दायित्व है कि वे लोगों को सुलभ और उचित इलाज उपलब्ध कराएं, लेकिन इस मामले में लापरवाही की गंभीर आशंका है. मैंने जांच समिति गठित करने के आदेश दिए हैं.
मां और बच्चा दोनों स्वस्थ
इस बीच, सेंट कोलंबा मिशन अस्पताल का संचालन करने वाले श्रीनिवास मंगलम ट्रस्ट के प्रमुख डॉ. प्रवीण कुमार ने जानकारी दी कि मनीषा की सभी जांचें सामान्य थीं और डिलीवरी से पहले पूरी तरह जांच की गई थी. उन्होंने बताया कि मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. यह घटना न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि किस तरह एक गलत निर्णय गंभीर परिणाम ला सकता था.