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धनबाद/डेस्क: धनबाद से भाजपा सांसद ढुल्लू महतो एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं. सिनिडीह गेस्ट हाउस में एक बैठक के दौरान उन्होंने सार्वजनिक रूप से हिलटॉप आउटसोर्सिंग के जीएम कौशल पांडेय को अपशब्द कहे और जमकर फटकार लगाई. बैठक में बीसीसीएल (BCCL) के अधिकारी, पुलिस के वरिष्ठ अफसर और प्रभावित रैयत मौजूद थे. गुस्से में लाल सांसद ढुल्लू ने जीएम से कहा - "उठो, भागो यहां से, वरना चटाक से मारकर मुंह फोड़ देंगे". इसके बाद उन्होंने पुलिस अधिकारियों को भी आदेश दिया कि पहले इन्हें यहां से बाहर निकाला जाए.
रैयतों के मुआवजे और नियोजन पर थी बैठक
यह मामला बीसीसीएल गोविंदपुर एरिया में संचालित हिलटॉप आउटसोर्सिंग परियोजना से जुड़ा है. गेस्ट हाउस में रैयतों की शिकायतों को लेकर बैठक बुलाई गई थी, जिसमें बाघमारा एसडीपीओ पुरुषोत्तम कुमार सिंह, कतरास थाना प्रभारी अशीत कुमार सिंह, बीसीसीएल और हिलटॉप आउटसोर्सिंग के अधिकारी शामिल थे.
बगैर बातचीत शुरू हुआ था निर्माण
हिलटॉप आउटसोर्सिंग पर आरोप है कि उसने स्थानीय रैयतों से मुआवजा और नियोजन पर बिना किसी पूर्व सहमति के जमीन पर बाउंड्री वॉल (चाहरदिवारी) निर्माण शुरू कर दिया. इसके विरोध में ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया, जिसके बाद प्रशासन की पहल पर यह वार्ता बुलाई गई थी.
सांसद ने लगाया गंभीर आरोप
सांसद ढुल्लू महतो ने बैठक में कहा, "कंपनी जबरन ग्रामीणों की जमीन पर कब्जा कर रही है. ना कोई नोटिस, ना प्रशासन से अनुमति – सीधे गुंडों के दम पर काम शुरू कर दिया गया है. इससे पहले भी यहां गोलीबारी हुई थी जिसमें हिलटॉप के डायरेक्टर और उनके समर्थक शामिल थे." उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी अपील की कि "अगर सरकार सच में जल, जंगल और जमीन की रक्षा चाहती है, तो इन ग्रामीणों की बात सुनी जाए और ऐसे प्राइवेट ठेकेदारों पर कार्रवाई हो."
पहले भी हो चुकी है हिंसा
यह पहला मौका नहीं है जब हिलटॉप आउटसोर्सिंग और रैयतों के बीच टकराव हुआ हो. इससे पहले भी बिना सूचना बाउंड्री वॉल निर्माण के कारण हिंसक झड़प हो चुकी है. उस घटना में गोलीबारी और बमबाजी हुई थी, जिसमें बाघमारा के एसडीपीओ गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
प्रशासन के लिए चुनौती
यह घटना न सिर्फ सांसद के आक्रामक व्यवहार को उजागर करती है, बल्कि प्रशासन और निजी कंपनियों के बीच समन्वय की कमी को भी सामने लाती है. अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन इस विवाद पर क्या रुख अपनाता है और रैयतों की मांगों पर क्या कदम उठाए जाते हैं.