प्रशांत/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: मां अब मैं वहां नहीं पढूंगी और घर भी अपने सामान को लेकर कैसे जाऊं... यह कहकर एक छात्रा राधिका कुमारी फूट-फूटकर रोने लगी. उसे उसकी मां द्वारा समझाया जा रहा था और वह रोते ही जा रही थी. मामला झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय टाटीझरिया का है. कोल्हू निवासी राधिका कुमारी पिता गणेश महतो अष्टम कक्षा उत्तीर्ण होने के बाद उक्त विद्यालय में दाखिला के लिए आवेदन किया था.
छात्रा की मां बसंती देवी के अनुसार नामांकन के लिए वार्डन का बुलावा भी आया था. गुरुवार को समान लेकर इनलोग विद्यालय आई भी, पर जाति आवासीय, प्रमुख और मुखिया का हस्ताक्षर नहीं रहने की वजह से इसका नामांकन नहीं हो सका. वार्डन ने ही इनका सामान वहीं रखवा दी और बोली कि कागजात कंप्लीट करा कर आइए, नामांकन ले लेंगे. उसके बाद शनिवार को इनलोग फिर गई, जनप्रतिनिधि का हस्ताक्षर नहीं रहने की वजह से शनिवार को भी नामांकन नहीं हो पाया. इनलोग उस दिन भी वापस लौटी पर समान विद्यालय में ही रहा. सोमवार को जब दोनों मां-बेटी फिर विद्यालय गई तो इस बार वार्डन ने इन्हें बाहर जाने को कहा, वॉचमैन ने इनका सामान बाहर कर दिया और बोली कि यहां से बाहर जाओ. यह आप बीती बताकर छात्रा की मां भी भावुक हो गई. उन्होंने बताया कि वह गरीब परिवार से आती है. उसके पति मुंबई में मजदूरी करते हैं. उन्होंने बताया कि उसके चार बेटियां हैं और एक बेटा है. गांव के मध्य विद्यालय में आठवीं कक्षा तक राधिका पढी अब आगे की पढाई के लिए उसने बालिका आवासीय विद्यालय में आवेदन दिया था. उच्च विद्यालय धरमपुर घर से करीब 6 किमी दूर है.
इस मामले में पक्ष लेने के लिए वार्डन से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हुआ. प्रमुख संतोष मंडल ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कहा कि वार्डन और वॉचमैन द्वारा दुव्यवहार करने का सूचना मिला है. इसपर जांच कर कार्रवाई होनी चाहिए.