प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: जिले में मवेशियों में फैलने वाली खतरनाक बीमारी लंपी स्किन डिजीज ने एक बार फिर दस्तक दी है. इस बीमारी की पहचान मवेशियों के शरीर पर उभरने वाली गांठें हैं, जो एक संक्रमित जानवर से दूसरे में तेजी से फैलती हैं. बीमारी के दौरान मवेशी बुखार से पीड़ित हो जाते हैं और चारा-पानी छोड़ देते हैं. यह ताजा मामला हजारीबाग गोशाला का है, जहां दो मवेशी लम्पी की चपेट में आ गए हैं. जानकारी के अनुसार, ये मवेशी बाहर से आए थे, जिन्हें उनके मालिकों ने छोड़ दिया था और बाद में वे गोशाला पहुंचे. संक्रमण को पुष्टि होते ही सदर प्रखंड के पशु चिकित्सक स्मृति सिन्हा को सूचना दी गई. सूचना पर गोशाला सचिव श्रद्धानंद सिंह, सीओ सदर मयंक भूषण और मुफ्फसिल थाना प्रभारी कुणाल किशोर मौके पर पहुंचे. गौशाला परिसर में नीम पत्तियों का घोल, चूना और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कर सेनेटाइजेशन अभियान चलाया गया. संक्रमित मवेशियों को तुरंत अलग कर उपचार शुरू किया गया है. गोशाला मैनेजर योगेंद्र मिश्रा ने बताया कि दो दिन पहले मवेशियों के शरीर पर सैकड़ों गांठें दिखाई दी थी, जिसके बाद जांच में लम्पी की पुष्टि हुई. सीओ मयंक भूषण ने मौके पर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए और मवेशियों की सुरक्षा व स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की बात कही.
गांवों में भी पैर पसार रहा संक्रमण
सिर्फ गोशाला ही नहीं, बल्कि सदर प्रखंड सहित जिले के कई प्रखंडों से भी मवेशियों में गांठें निकलने और चारा-पानी छोड़ने की शिकायतें मिल रही हैं. वर्ष 2022 में कोविड-19 काल के दौरान भी लंपी के मामले सामने आए थे, जिसके बाद मवेशियों का टीकाकरण कराया गया था. लेकिन इस बार आश्चर्यजनक रूप से, वैक्सीन लिए हुए मवेशियों में भी बीमारी पाई जा रही है. चिकित्सकों ने अपील की है कि जैसे ही मवेशियों में लम्पी के लक्षण दिखें, उन्हें तुरंत अलग करें और पूरे परिसर को सेनेटाइज करें. नीम पत्तियों का भोल मवेशियों पर छिड़कें, चिकित्सक की सलाह लें. विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर सावधानी और वैक्सीनेशन से बीमारी के प्रसार को रोका जा सकता है.