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रांची/डेस्क: राज्य सरकार द्वारा नगड़ी में RIMS-2 (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) के निर्माण की आधारशिला रखने के बाद जमीन को लेकर विवाद एक बार फिर जोर पकड़ने लगा है. इस मामले को अब राष्ट्रीय जनजाति आयोग के समक्ष उठाया गया है. नगड़ी के ग्रामीणों ने आयोग की सदस्य आशा लकड़ा से मुलाकात कर अपनी जमीन बचाने की अपील की है. ग्रामीणों का कहना है कि वे अपनी उपजाऊ कृषि भूमि किसी भी कीमत पर नहीं देना चाहते. उन्होंने स्पष्ट किया कि जिस जमीन पर सरकार मेडिकल कॉलेज बनाने की योजना बना रही है, वह उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत है, जहां धान की खेती होती है. यदि यह भूमि अधिग्रहित कर ली जाती है, तो वे पूरी तरह से भूमिहीन और बेरोजगार हो जाएंगे.
सरकार का दावा है कि यह जमीन एकीकृत बिहार के दौरान अधिग्रहित की जा चुकी थी. हालांकि, ग्रामीण इन दावों को पूरी तरह खारिज कर रहे हैं और इसे "बेबुनियाद और भ्रामक" बता रहे हैं. उनका कहना है कि बिना उनकी सहमति के जमीन हड़पने की कोशिश की जा रही है. इस विवाद को लेकर ग्रामीणों ने 18 जून को राजभवन के समक्ष धरना देने की घोषणा भी की है. उनका कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ जमीन की नहीं, बल्कि उनके अस्तित्व और भविष्य की है. गौरतलब है कि साल 2012 में भी इसी भूमि को लेकर बड़ा आंदोलन हुआ था, जिसमें ग्रामीणों के विरोध के चलते सरकार को पीछे हटना पड़ा था. अब एक बार फिर वही जमीन सरकारी योजना की जद में आ गई है, जिससे तनाव की स्थिति पैदा हो गई है.