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रांची/डेस्क: वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि इस बार कई शुभ योगों के साथ आ रही है और इसी दिन पूरे देशभर में बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी. बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म दोनों में ही इस दिन का विशेष महत्व हैं. भगवान विष्णु के नवम अवतार गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान और महापरिनिर्वाण की स्मृति में यह पर्व मनाया जाता हैं. इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा 12 मई, 2025 सोमवार को पड़ रही हैं.
जानें तिथि और मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 11 मई 2025 को शाम 6:55 बजे होगी और यह समाप्त 12 मई 2025 को शाम 7:22 बजे होगी. उदयतिथि के अनुसार, बुद्ध पूर्णिमा का पर्व 12 मई को ही मनाया जाएगा. इस दिन पूजा, दान, व्रत और गंगा स्नान का विशेष महत्व हैं.
शुभ योगों की वर्षा,बन रहा है धार्मिक संयोग
इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा पर तीन प्रमुख शुभ योग बन रहे हैं- वरीयान योग, रवि योग और भद्रा योग. वरीयान योग रातभर रहेगा, जबकि रवि योग 12 मई को सुबह 5:32 बजे शुरू होकर अगले दिन सुबह 6:12 बजे तक रहेगा. भद्रा योग सुबह 9:14 बजे तक रहेगा लेकिन इसका वास पाताल लोक में होने के कारण कोई अशुभ प्रभाव नहीं माने जाते. इन योगों के कारण पूजा-पाठ और दान का फल कई गुना अधिक मिलेगा.
गौतम बुद्ध: एक दृष्टि में जीवन यात्रा
गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व लुंबिनी (अब नेपाल में) हुआ था. उनका बचपन का नाम सिद्धार्थ था. पिता शुद्धोधन शाक्य वंश के राजा थे और माता मायादेवी थी. 16 वर्ष की आयु में सिद्धार्थ का विवाह यशोधरा से हुआ और उनके पुत्र का नाम राहुल था. जीवन की नश्वरता और दुखों को देखकर सिद्धार्थों ने गृहत्याग कर संन्यास धारण किया. गया (बिहार) के बोधगया में निरंजना नदी के किनारे पीपल वृक्ष के नीचे उन्हें वैशाख पूर्णिमा के दिन ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे गौतम बुद्ध कहलाए. इसके बाद उन्होंने पहला उपदेश सारनाथ में दिया. बुद्ध के उपदेश करुणा, अहिंसा और सत्य पर आधारित हैं. आज बौद्ध धर्म के अनुयायी पूरी दुनिया में फैले है, जिनमें चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, श्रीलंका और भारत प्रमुख हैं.
कैसे मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा?
इस दिन बौद्ध अनुयायी बोधि वृक्ष की पूजा करते है, बुद्ध के उपदेशों को सुनते और साझा करते हैं. वहीं हिंदू धर्म में भी इस दिन गंगा स्नान, विष्णु और लक्ष्मी पूजा, व्रत और चंद्र अर्घ्य देने की परंपरा हैं. मंदिरों में विशेष पूजा होती है और दान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता हैं. बुद्ध पूर्णिमा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि शांति, करुणा और आत्मबोध का प्रतीक हैं. इस पावन अवसर पर स्नान-दान और साधना का विशेष महत्व हैं.अगर आप इस दिन को अध्यात्म से जोड़ना चाहते है तो बुद्ध के उपदेशों को आत्मसात करें और धर्म-अनुसार व्रत व पूजा करें.