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रांची/डेस्क: झारखंड हाईकोर्ट ने रांची नगर निगम को शहर में सिंगल-यूज पॉलिथीन के इस्तेमाल और बिक्री पर प्रभावी रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया हैं. यह निर्देश ऐसे समय में आया है जब केंद्र सरकार द्वारा तीन साल पहले प्रतिबंध लगाने के बावजूद, रांची में हर महीने लगभग 45 टन सिंगल-यूज पॉलिथीन का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे शहर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा हैं. नगर निगम की शुरुआती कोशिशों के बाद, शहर में पॉलिथीन की खरीद-बिक्री और उपयोग पर कोई गंभीर अंकुश नहीं लगाया गया. इसका नतीजा यह है कि शहर से निकलने वाले कुल कचरे में सिंगल-यूज पॉलिथीन का एक बड़ा हिस्सा शामिल होता हैं.
कैसे पहुंच रहा है शहर में पॉलिथीन?
जानकारी के अनुसार, प्रतिबंध के बाद भी सिंगल-यूज पॉलिथीन का कारोबार धड़ल्ले से जारी हैं. कारोबारियों ने इसे शहर तक लाने के लिए नया रास्ता निकाला हैं. रामगढ़ से ट्रैकर के जरिए रोजाना पॉलिथीन की खेप जेल चौक स्थित रामगढ़ ट्रैकर स्टैंड पहुंचती हैं. इसी तरह पुरुलिया-बुंडू मार्ग से बसों में लादकर खादगढ़ा बस स्टैंड तक पॉलिथीन लाई जाती हैं. इन स्टैंड से ऑटो, ई-रिक्शा और बाइक के जरिए इसे शहर की विभिन्न दुकानों तक पहुंचाया जाता हैं. राशन, फल, सब्जी और होटलों से होते हुए यह पॉलिथीन आम लोगों के घरों तक पहुंच रही हैं.
प्रदूषण का कारण बन रही पॉलिथीन
यह पॉलिथीन पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन रही हैं. इस्तेमाल के बाद लोग इसे अक्सर खुली जगहों या नालियों में फेंक देते हैं. नालों में जमा होने से ये जल निकासी को बाधित करती है, जिससे हल्की बारिश में भी शहर में जलजमाव की समस्या पैदा होती हैं. इसके अलावा कचरे के ढेर पर फेंके गए खाने-पीने के सामान के साथ पॉलिथीन जानवरों, खासकर गायों द्वारा निगल ली जाती है, जिससे उनके स्वास्थ्य को भी गंभीर नुकसान पहुंच रहा हैं.