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महिलाओं को लक्षित कर चुनाव जीतना पार्टियों के लिए नहीं होगा आसान! महिलाएं कम होंगी तो कैसे जीतेंगे चुनाव?

सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (CRS) की रिपोर्ट में लिंगानुपात की चिंताजनक स्थिति
महिलाओं को लक्षित कर चुनाव जीतना पार्टियों के लिए नहीं होगा आसान! महिलाएं कम होंगी तो कैसे जीतेंगे चुनाव?

न्यूज11 भारत


रांची/ डेस्क: कांग्रेस महासचिव और केरल के वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के एक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. इस वायरल पोस्ट में उन्होंने सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (CRS) की रिपोर्ट के आधार पर बिहार में लिंगानुपात की ताजा स्थिति को उजागर किया है. इस रिपोर्ट के अनुसार, यहां 1000 लड़कों पर 891 लड़कियां हैं. प्रियंका गांधी ने इस आंकड़े को बिहार की राजनीति से इसे जोड़ा है. उनका कहना है कि बिहार में लिंगानुपात की जब यह स्थिति है तो फिर नीतीश कुमार चुनाव कैसे जीतेंगे. प्रियंका गांधी के इस प्रकार के बयान देने के पीछे की भावना यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार राज्य की महिलाओं के लिए लगातार बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रहे हैं, जब महिलाएं का प्रतिशत ही कम होगा तो भला उनकी घोषणाओं का क्या होगा और वह किनके सहारे चुनाव जीतेंगे.


उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव में 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' स्लोगन के सहारे चुनाव लड़ने वाली प्रियंका गांधी ने दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर ही नहीं, बल्कि पीएम मोदी पर भी हमला बोला है. प्रियंका गांधी का कहना है कि चाहे पीएम मोदी हों या फिर बिहार के सीएम नीतीश कुमार महिलाओं को लेकर सिर्फ बड़े-बड़े दावे करते हैं. 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' जैसे अभियान चलाते हैं. लेकिन अब उनके बयानों की सच्चाई सामने आ चुकी है. उन्होंने चिंता जताते हुए केन्द्र और राज्य सरकारों पर हमला बोला कि ये सिर्फ वादे करना जानते हैं. अगर इनके दावों में सच्चाई है तो फिर लड़कियों की संख्या क्यों घट रही है. ये सिर्फ जुमलेबाजी करना जानते हैं.

 

महिलाओं का कम होने भी राजनीतिक पार्टियों के लिए भी खतरे की घंटी?

यह सही है कि सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (CRS) रिपोर्ट 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में लिंगानुपात में काफी अंतर आया है. 2020 में लिंगानुपात जहां 1000 के बदले 964 था, 2021 में घटकर 908 हो गया. 2020 में अनुपात इतना घट गया कि पूरे देश में बिहार के लिंगानुपात की स्थिति सबसे दयनीय हो गयी है. मगर यह स्थिति दूसरे राज्यों की भी है. बिहार ही नहीं, हरियाणा, महाराष्ट्र, यहां तक कि झारखंड में इस श्रेणी में है आज की राजनीति में जब महिलाओं को लक्षित करके पार्टियां चुनाव जीत रही हैं तो लिंगानुपात का यह अंतर क्या उनके राजनीतिक और चुनावी गणित को कमजोर नहीं करेगा? 2024 में झारखंड का विधनसभा चुनाव इसका बहुत बड़ा उदाहरण है जहां हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो ने भारी जीत दर्ज कर राज्य में लगातार दूसरी बार सरकार बनायी थी.

 

पूरे देश की लिंगानुपात की स्थिति खराब

सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (CRS) रिपोर्ट 2022 बतायी है कि अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख को छोड़कर पूरे देश में 1000 लड़कों के बदले 900 के करीब लड़कियां है. अरुणाचल में लड़कियों का अनुपात जहां 1,036 है, वहीं लद्दाख में यह अनुपात 1,027 है। इसके बाद सबसे बेहतर स्थिति मेघालय की है, जहां 1000 लड़कों पर 972 लड़कियां है. केरल थोड़ा ही पीछे है जहां 1000लड़कों पर 971 लड़कियां हैं.

 

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