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रांची/ डेस्क: पिछले कुछ दिनों से आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का एक बयान काफी चर्चा में है. चंद्रबाबू नायडू ने यह बयान देश में भ्रष्टाचार कम करने के लिए देश में एक बार फिर से नोटबंदी करने जैसे उपायों की सलाह दी थी. नायडू का मानने है कि बड़े नोट देश में बंद होने चाहिए. 2000 के नोटों के बंद कर दिया गया. अब 500 के नोट को भी बंद किया जाना चाहिए और उनके बदले 100 और 200 के नोट ही बाजार में प्रचलन में रहने चाहिए.
बता दें कि 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था. उस समय देश में प्रचलन में 1000 और 500 के नोटों को बंद करके उनकी जगह 2000 और 500 के नये नोटों को प्रचलन में लाया गया था. पीएम मोदी का नजरिया यही था कि नोटबंदी करने से देश में छुपा हुआ कालाधन बाहर आयेगा. लेकिन जिस सोच के साथ पीएम मोदी ने नोटबंदी कर नये नोटों के प्रचलन में लाया था, वह उद्देश्य पूरा नहीं हो सका, बल्कि कालाधन एक बार भी बड़ी मात्रा में प्रचलन में आ गया है.
2016 में जो बीड़ा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उठाया था, वहीं बीड़ा अब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू ने उठा लिया है. कुछ दिनों पहले उन्होंने पीएम मोदी से अनुरोध किया था कि देश में एक बार फिर से नोटबंदी होनी चाहिए क्योंकि देश में व्याप्त भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिए.
चंद्रबाबू नायडू की सलाह क्या वाकई है कारगर?
चंद्रबाबू नायडू ने पीएम मोदी को सलाह दी है कि अब बाजार से 500 के नोटों का चलन बंद होना चाहिए. उसके स्थान पर 200 और 100 रुपये के नोटों को प्रचलन में ही रखना चाहिए. अगर आंध्र प्रदेश के बयान की गंभीरता को समझे होंगे तो भ्रष्टाचार कम करने के लिए वह बड़ी दूर की कौड़ी लाये हैं. आज आप बाजार में पैसों की तरलता को देखें तो बड़े पैसों का चलन तो कई माध्यमों से ऑनलाइन तो होता ही है, लोगों में, यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी पैसे की लेन-देन ऑनलाइन होने लगी है. इस लिए चंद्रबाबू नायडू की सोच गलत नहीं कही जा सकता. छोटे-मोटे ट्रांजक्शन तो लोग छोटे नोटों के साथ ऑनलाइन भी कर लेते हैं. अगर बाजार में छोटे नोटों का प्रचलन होने लगेगा तो सोचिये, बड़े नोटों के सहारे भ्रष्टाचार करने वालों का क्या होगा? बड़ी मात्रा में कालाधन इकट्ठा करने के लिए उन्हें बड़ी मात्रा में नोटों की लेन-देन करनी होगी और उन्हें छोटी सी जगह में रख पाना सरल नहीं होगा, जैसा कि आजकल होने वाली छापेमारियों में होता है. मान लीजिए किसी छापेमारी में 10 करोड़ रुपयों की बरामदगी होगी तो 100-200 के कितने बंडलों की बरामदगी तब होगी. इसलिए अगर भ्रष्टाचार कम करने के लिए चंद्रबाबू नायडू का यह उपाय उचित ही लग रहा है
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