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रांची/डेस्क: पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत ने अब वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ अपनी 'जीरो टॉलरेंस' नीति का परचम लहराने की तैयारी कर ली हैं. केंद्र सरकार ने इस महीने के अंत तक सात सदस्यीय सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडलों को विश्व के प्रमुख देशों में भेजने का फैसला लिया हैं. इन प्रतिनिधिमंडलों का मकसद एक ही है दुनिया को यह दिखाना कि भारत आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को लेकर किसी तरह की ढील नहीं दी जाएगी.
क्या करेंगे प्रतिनिधिमंडल?
संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी बयान के अनुसार, ये टीमें भारत की मजबूत और रएकमत रणनीति को दुनिया के सामने रखेंगी. प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद के हर रूप और हर चेहरे के खिलाफ भारत के सख्त रूप से वैश्विक समुदाय को अवगत कराएंगे. हर टीम में अनुभवी सांसदों के साथ वरिष्ठ राजनयिक भी शामिल होंगे ताकि भारत की बात प्रभावी ढंग से रखी जा सकें.
प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने वाले प्रमुख नेता इस प्रकार हैं:
- रवि शंकर प्रसाद (भाजपा सांसद)
- बैजयंत पांडा (भाजपा सांसद)
- शशि थरूर (कांग्रेस सांसद)
- संजय झा (जदयू सांसद)
- कनीमोझी (डीएमके सांसद)
- सुप्रिया सुले (एनसीपी - शरद पवार गुट सांसद)
- श्रीकांत शिंदे (शिवसेना सांसद)
कहां जाएंगे ये प्रतिनिधिमंडल?
प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल पांच देशों का दौरा करेगा, जिनमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देश और भारत के रणनीतिक साझेदार शामिल होंगे.