प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: झारखंड राज्य में चल रहे मोबाइल वेटरनरी यूनिट (M.V.U 1962) कार्यक्रम के तहत कार्यरत पायलेट और पारावेट कर्मियों ने 1 अगस्त 2025 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का एलान कर दिया है. कर्मियों ने कंपनी पर वेतन बकाया, वादाखिलाफी और असमान वेतनमान का आरोप लगाते हुए कार्यस्थल से दूरी बना ली है.
तीन माह से नहीं मिला वेतन, आर्थिक संकट में कर्मी
हड़ताली कर्मियों का कहना है कि उन्हें पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है. कंपनी की तरफ से बार-बार सिर्फ “फंड की प्रतीक्षा” का जवाब मिलता रहा, जिससे अब स्थिति आर्थिक रूप से विकट हो चुकी है. ₹12,000 मासिक वेतन पर निर्भर कर्मियों के सामने रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना मुश्किल हो गया है.
बिहार जैसे राज्यों से तुलना, वेतन में भेदभाव का आरोप
पारावेट और पायलेट कर्मियों ने बताया कि झारखंड में उन्हें मात्र ₹12,000 प्रति माह वेतन दिया जा रहा है, जबकि बिहार जैसे राज्यों में पारावेट को ₹20,000 और पायलेट को ₹18,000 मासिक वेतन दिया जाता है. कर्मियों ने सवाल उठाया है कि जब काम एक जैसा है तो वेतन में इतना अंतर क्यों?
जॉइनिंग लेटर और बीमा योजना अब तक अधूरी
हड़ताली कर्मियों ने यह भी बताया कि 11 माह से सेवा देने के बावजूद उन्हें न तो अब तक नियुक्ति पत्र (Joining Letter) मिला है, न ही कंपनी द्वारा वादा किया गया बॉडी इंश्योरेंस प्रदान किया गया है. यह न केवल अनुचित है बल्कि उनके भविष्य की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा भी है.
न छुट्टियाँ, न राहत – पूरी तरह अनुशासन में बंधे कर्मी
कर्मियों ने यह भी शिकायत की है कि 11 महीने की सेवा के दौरान उन्हें कोई भी राष्ट्रीय या राजकीय अवकाश नहीं मिला, यहाँ तक कि त्योहारों के मौके पर भी छुट्टी नहीं दी गई. कर्मचारियों ने मांग की है कि भविष्य में उन्हें नियमित अवकाश और सुविधाएँ दी जाएँ.
कर्मियों का स्पष्ट संदेश: “समाधान नहीं तो काम नहीं”
संयुक्त समिति द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि जब तक उनकी प्रमुख मांगें नहीं मानी जातीं—वेतन भुगतान, वेतनमान वृद्धि, नियुक्ति पत्र, बीमा सुविधा और छुट्टियों का अधिकार—तब तक सभी कर्मी हड़ताल पर बने रहेंगे. जैसे ही समाधान होगा, वे ड्यूटी पर लौट आएंगे.
झारखंड के ग्रामीण इलाकों में चलंत पशु चिकित्सा सेवाओं पर इस हड़ताल का बड़ा असर पड़ सकता है, जिससे पशुपालकों और किसानों को तत्काल पशु चिकित्सा सेवाएँ नहीं मिल पाएंगी. प्रशासन को जल्द हस्तक्षेप कर समाधान निकालना होगा, ताकि सेवा बहाल हो सके और कर्मियों को न्याय मिल सके.
कर्मियों की मुख्य मांगें संक्षेप में :
- 3 माह का बकाया वेतन तत्काल भुगतान.
- वेतनमान में अन्य राज्यों के बराबर वृद्धि.
- जॉइनिंग लेटर और बॉडी इंश्योरेंस की सुविधा.
- राष्ट्रीय, राजकीय और त्योहारों पर अवकाश.
- वेतन भुगतान में नियमितता.
चलंत पशु चिकित्सालय कर्मियों की यह हड़ताल न केवल प्रशासनिक उदासीनता को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कम वेतन और असुरक्षित नौकरी के हालात में कैसे कोरोना काल के फ्रंटलाइन जैसे सेवाओं को देने वाले कर्मी खुद संघर्षरत हैं. अब देखना है कि झारखंड सरकार और संबंधित कंपनी इस गंभीर स्थिति का समाधान कब तक करती है.
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