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रांची/डेस्क: एक लड़का और लड़की के जीवन में शादी बहुत ही महत्वपूर्ण पड़ाव होता है. अपने जीवन को एक नए सिरे से जीने के लिए शादी करना जरूरी होता है. शादी के बाद आप अपना वंश बढ़ाते है. लेकिन अगर हम आपको कहे कि भारत देश में एक ऐसी जगह है, जहां लड़कों को मजबूरन कुंवारा रहना पड़ रहा है. जी हां आपने सही सुना. देश के एक गाँव में लकड़ों का मजबूरन कुवारण रहना पड़ रहा है. आखिर उन्हें ऐसे क्यों रहना पड़ रहा है. आइए आपको इस बारे में पूरी जानकारी देते है.
कहां है ये गांव?
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर परदेश के उन्नाव में एक ऐसा गांव है, जहां कोई भी माता-पिता अपने बेटी की शादी नहीं करवाना चाहते है. यहीं नहीं इस गांव में रहने वाले लोगों के यहां उनके रिश्तेदार भी नहीं आना चाहते है.आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इसके पीछे का कारण एक छोटा सा कीट है. जी हां आपने सही सुना. दरअसल बात ऐसी है कि इस गांव में इतनी ज्यादा मक्खियां है कि यहां के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. गांव वाले मक्खियों के आतंक के कारण ना तो सही से सो पा रहे है और ना ही सही से खा पा रहे है. जब भी गांव का कोई भी व्यक्ति खाना खाने बैठता है, तो उसके खाने में एक हजारों मक्खियां आकर बैठ जाती है. इस कारण से बच्चे बीमारी का शिकार हो रहे है. गांव वालों ने कई बार इस चीज़ की शिकायक्त संबंधित अधिकारियों से की. लेकिन कोई भी इसपर संज्ञान नहीं ले रहा है.
नवाबगंज विकासखंड के रूदवारा गांव की हम बात कर रहे है. यहां की स्थिति मक्खियों के आतंक से बदतर हो गई है. ऐसे में गांव वालों का यह कहना है कि जब से वहां पोल्ट्री फॉर्म खुला है, तब से ही गांव में गंदगी और बदबू के कारण मक्खियां आ गई है. ऐसे में यहां के लोगों का जीना दुश्वार हो गया है. इस गांव में करीब 5 हजार लोग रहते है. मक्खियों से यहां के लोग इतने डरे हुए है कि वह खाना-पीना भी मच्छरदानी के अंदर बैठकर करते हैं. गांव की महिलाओं का कहना है कि अब तो गांव में लड़कों के लिए कोई रिश्ता भी नहीं लेकर आता है. इसके अलावा जिनकी शादी हो चुकी है वह यहां रहने को तैयार नहीं है. इसके अलावा उनके रिश्तेदार भी मक्खियों के आतंक के कारण गांव में नहीं आते है. उन्हें खाना बनाने में काफी दिक्कत होती है.
ग्रामीणों का क्या है आरोप
ग्रामीणों ने आरोप लगते हुए कहा कि अवैध तरीके से चल रहे पोल्ट्री फार्म हाउस बिना एनओसी के चल रहा है. लेकिन इसपर सालों से कोई कारवाई नही की गई है. इस बीच अधिकारी आते भी है तो खानापूर्ति करके वापस चले जाते है. पहले गांव में पोल्ट्री फॉर्म वाले दवा का छिड़कते थे. लेकिन उन्होंने पिछले कुछ सैलून से यह करना बंद कर दिया है. जब ग्रामीणों ने इस बात की शिकायत पोल्ट्री फॉर्म हाउस वालों से की तो उन्होंने धमकी देकर उन्हें भगा दिया. उन्होंने कहा कि अब वह दवा नहीं डालेंगे.
खेत में फेंक दी जाती है मक्खियां
ग्रामीणों का कहना है कि कोई भी अधिकारी उनका हाल तक देखने नहीं आता है. पोल्ट्री फार्म हाउस का कहना है कि उनकी कंपनी के कारण मक्खियां नहीं आ रही है. लेकिन गांव वालों का कहना है कि मक्खियों के आने का कारण वह पोल्ट्री फार्म हाउस ही है. ऐसे में जब यहां मक्खियां मरती है तो उन्हें दफनाया नहीं जाता है. इसके बजाय उन्हें खेतों में फेक दिया जाता है. इस कारण से और मक्खियां आ जाती है.