श्रीकांत / न्यूज11 भारत
गिरिडीह/डेस्कः ग्रामीणों द्वारा सड़क निर्माण की मांग करते हुए कई साल बीत जाते हैं और बड़ी मुश्किल से मांग पूरी होने के बाद सड़क बनाने या मरम्मत की स्वीकृति मिलती है. ग्रामीणों की मांग पर सरकार करोड़ों रुपए सड़क निर्माण के लिए स्वीकृत करती है. लेकिन सड़क निर्माण से पहले ही ठेकेदार और अधिकारियों के बीच राशि की बंदरबांट के लिए प्लान तैयार हो जाता है.
इसकी बानगी सदर प्रखंड के जमुनियाटांड़ से जसपुर तक ग्रामीण सड़क कार्य विभाग द्वारा मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई जा रही 2.80 करोड़ की लागत 8.2 किलोमीटर का सड़क सुदृढ़ीकरण कार्य के दौरान देखने को मिली. जब सड़क से भ्रष्टाचार की परत उखड़ने लगी. बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी मौन हैं बनने के साथ ही आदिवासी बहुल इस इलाके में सड़क की हालत काफी खराब होने लगी है. बनने के चंद दिनों में ही एक तरफ से सड़क उखड़ने लगी है. सड़क निर्माण में बरती गई लापरवाही के कारण ही सड़क की ये दुर्दशा है. इससे लोगों में अधिकारियों व संवेदक पर आक्रोष व्याप्त है.
झाड़ू लगाने मात्र से हाथ में आ जा रही सड़क !
दरअसल मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बन रही सड़क में गुणवत्ता को ताक पर रख दिया गया जहां अलकतरा के नाम पर बस काली परत नज़र आती है. कही भी पैर लगाने मात्र से सड़क बिखरने लगती है. घरों के सामने झाड़ू लगाने व हाथ लगाने मात्र से सड़क हाथ में आ जा रही है. जबकि इस सड़क पर भारी वाहनों का परिचालन नाम मात्र का है . विभाग के अधिकारियों के गैर मौजूदगी में आनन-फानन में कार्य पूर्ण किया जा रहा है इसे लेकर ग्रामीण भी हैरान है. ग्रामीणों का कहना है ऐसी सड़क का कोई औचित्य ही नही है. इस सड़क से अच्छी पुरानी सड़क ही थी. सड़क के नाम पर बस खानापूर्ति पूरी की जा रही है ग्रामीणों ने उपायुक्त से जांच पड़ताल कर सड़क ठीक करवाने व कार्यवाई की मांग की है.
विकास के बजाए ग्रामीणों के हाथ लगी निराशा
बहरहाल जब हमने सड़क निर्माण कार्य विभाग के कनीय अभियंता मेघलाल कुमार से दूरभाष पर बात की तो उन्होंने बताया कि गुणवत्ता को लेकर शिकायत मिली है इसपर कार्यवाई की जाएगी. अब देखने वाली बात यह है कि लापरवाही कार्यवाई और जांच के बीच ग्रामीण जिनके लिए सड़क बन रही थी उनके हिस्से तो बस भ्रष्टाचार की परत ही आई है और ग्रामीणों के हाथ विकास के बजाए निराशा ही लगी.