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जमशेदपुर/डेस्क: झारखंड आंदोलन के तीन प्रमुख स्तंभों और झारखंड मुक्ति मोर्चा को बुलंदी तक पहुंचाने वाले नेताओं का निधन अगस्त महीने में हुआ हैं. इन नेताओं ने झारखंड आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. झारखंड आंदोलन का गढ़ कहे जाने वाले घोड़ाबांधा क्षेत्र से आंदोलन को नई दिशा देने का प्रयास उस समय के युवा निर्मल महतो, रामदास सोरेन, अर्जुन मुंडा, शैलेंद्र महतो और सूर्य सिंह बेसरा जैसे कई नेताओं ने किया था. इसी धरती पर गुरुजी शिबू सोरेन ने भी कई सभाओं को संबोधित किया और अलग राज्य के आंदोलन को गति दी.
इस क्षेत्र से आंदोलन की शुरुआत करने वाले नेताओं में सबसे पहले शहीद निर्मल महतो का निधन 8 अगस्त, 1987 को हुआ था. उनके बाद गुरुजी शिबू सोरेन का निधन 4 अगस्त, 2025 को हुआ और रामदास सोरेन ने 15 अगस्त, 2025 को अंतिम सांस ली, इस तरह झारखंड आंदोलन के तीन बड़े कद्दावर नेताओं ने अगस्त महीने में दुनिया को अलविदा कहा.
रामदास सोरेन, जो अपने निधन के समय झारखंड राज्य के शिक्षा मंत्री के रूप में कार्यरत थे, घाटशिला विधानसभा से विधायक चुने गए थे.उनके निवास स्थान घोड़ाबांधा पर उनके चाहने वालों की भारी भीड़ नजर आई. रामदास सोरेन को एक जमीन से जुड़े नेता के रूप में जाना जाता था, जिन्होंने झारखंड आंदोलन से अपनी पहचान बनाई और राजनीति में कदम रखा. आज वह हम सभी को छोड़कर चले गए हैं.