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रांची/डेस्क: आखिर क्या वजह है कि तुरुप का इक्का साबित होने के बावजूद AIMIM प्रमुख ओवैसी को बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में इंट्री नहीं मिल पायी. इसकी वजह राजद सुप्रीम लालू प्रसाद यादव बताये जा रहे हैं. ओवैसी ने तो अपनी तरफ से बहुत कोशिश की और बिहार में उनकी पार्टी के चुनाव लड़ने से महागठबंधन को क्या-क्या फायदा हो सकता है. इसके सपने भी दिखाये, लेकिन बिहार के राजनीति के किंग लालू प्रसाद यादव के आगे उनकी एक नहीं चली.
लालू प्रसाद यादव ने ऐस बहुत सोच-समझ कर किया है. ऐसा नहीं है कि मुसलमान सिर्फ ओवैसी की पार्टी के कारण महागठबंधन को वोट देते, लालू प्रसाद यादव का भी मुस्लिम वोटरों में एक बड़ा जनाधार है. फिर अगर लालू प्रसाद महागठबंधन में ओवैसी की इंट्र करा देते तो एक बात का भी भय था कि मुस्लिम वोटर का एक बड़ा वर्ग आरजेडी के पाले से खिसक कर ओवैसी के पाले में चला जाता. वैसे भी राजद बिहार की बहुत बड़ी पार्टी है और सिर्फ मुस्लिम वोटर्स ही नहीं, पिछड़े वर्ग के वोटों पर भी उनका बड़ा दबदबा है.
आपको याद दिला दें कि राजद ने बड़ी मिन्नतों के बाद कांग्रेस को महागठबंधन में इंट्री दी है, जबकि एक समय तो यह लग रहा था कि कांग्रेस को बिहार में अकेले ही चुनाव लड़ना पड़ सकता है. महागठबंधन में कांग्रेस क इंट्री हुई भी है तो वह भी राजद की शर्तों पर ही हुई है. और राजद की सबसे बड़ी शर्त यह है कि वह तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार स्वीकार करें. और कांग्रेस ने ऐसा ही किया है. हां, अभी बिहार में महागठबंधन की पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा होना शेष है. सीटों का बंटवारा ही तय करेगा कि गठबंधन की पार्टियों में कितनी एकता बची रह गयी है.
वक्फ कानून भी है ओवैसी को भाव नहीं देने की वजह
फिलहाल, बात ओवैसी की कर रहे हैं. ओवैसी की पार्टी को महागठबंधन में भाव नहीं मिलने की वजह वक्फ कानू भी है. वक्फ बिल पास होने के बाद से जब से कानून बना है तब से विपक्षी पार्टियां इसके विरोध में तो खड़ी हैं, लेकिन बिहार में इस कानून का जितना विरोध राजद और कांग्रेस ने किया है, उतना किसी अन्य पार्टी ने नहीं किया. एक अन्दरूनी खबर यह है कि राजद ने अपने आन्तरिक सर्वे में यह पाया है कि बिहार में मुस्लिम वोटरों में करीब 67 प्रतिशत मुस्लिम अत्यंत पिछड़ी जातियों के हैं और बिहार में चाहे पिछड़ी जाति हो या फिर मुस्लिम दोनों वोटरों के राजद अपना समझती है. इस स्थिति में ओवैसी की पार्टी को महाठबंधन में इंट्री कराकर मुफ्त में अपने ही पाले के वोटरों को AIMIM के पाले में किसी भी सूरत में राजद नहीं डालना चाहेगा.
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