ऐतिहासिक इचाक प्रखण्ड की गाथा इचाक से लेकर राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश में चर्चित
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: जिले के नजदीकी और कई मायने में ऐतिहासिक इचाक प्रखंड के परांसी पंचायत कई माइने में चर्चित है. 17 वीं शताब्दी में यहां पर रामगढ़ राज्य के राजा सिद्धनाथ सिंह के शासन काल में निर्मित पहला बंशीधर कोठी है. जो राजा के इचाक आगमन के समय सबसे पहले निर्मित किया गया था. उसके बाद कई धरोहर का निर्माण कराया गया. जिसमें सूर्य मंदिर, सुसारी पोखर, कलपू पोखर, रानी पोखर, नावा पोखर, पाण्डेय पोखर, राजा पोखर, मोदी पोखर, लक्ष्मीनारायण बड़ा अखाड़ा, श्री राम जानकी छोटा अखाड़ा, भगवती मठ समेत कई मठ मंदिर और दर्जन भर से अधिक चारों ओर सीढ़ी नुमा तालाबें हैं. जो सभी इचाक प्रखंड के पारसी पंचायत में अवस्थित है. सबसे बड़ी बात यह है कि जहां मंदिर भगवती मठ का निर्माण हुआ वहां तलाब का भी निर्माण कराया गया था.
जानकार सूत्र बताते हैं कि जब राज परिवार के लोग यहां रहने लगे थे उस समय रानी को पूजा करने के लिए किला के बगल में रानी पोखर का निर्माण हुआ. जहां रानी किला से निकलकर रानी पोखर में स्नान कर अंदर गुफा रूपी रास्ते से सूर्य मंदिर सूर्य को अर्घ्य देने जाती थी. रानी पोखर की एक और खासियत है कि इस तालाब में स्नान करने से शरीर में फोड़ा फुंसी, दाद खजुली समाप्त हो जाता है. ऐतिहासिक इचाक प्रखण्ड की गाथा इचाक से लेकर राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश में चर्चित है आज से ढाई सौ पूर्व बना दर्जन भर से अधिक मठ मंदिरों तालाबों की खूबसूरती देखते बनता था. देश भर के साधु संतों का सालों भर आना-जाना लगा रहता था. राजतंत्र समाप्त होते ही धार्मिक धरोहर मठ मंदिर तालाब धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खोता चला गया. इसे संजोए रखने के लिए पूर्व के सांसद रवींद्र राय ने पारसी पंचायत को गोद लेकर संवारने और आदर्श पंचायत बनाने का बीड़ा उठाया था, परंतु उनके जुबान पर ही दम तोड़ दिया.
क्या कहते हैं ग्रामीण
परांसी पंचायत के समाजसेवी सुनील कुमार वैद्य, रूपेश कुमार, कमल कुमार, पप्पू कुमार, विक्रम वैध ने कहा कि पारसी पंचायत में आज भी पर्यटकों के लिए कई असीम संभावनाएं हैं. अगर सरकार पंचायत में निर्मित धरोहरों को संवारा जाए तो आज भी देश ही नहीं बल्कि विदेशों के धर्म प्रेमियों का आना-जाना लगा रहेगा और रोजगार के भी सृजन होंगे.