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चांडिल/डेस्क: राज्यभर में सोमवार को आदिवासियों का पारंपरिक शिकार महापर्व 'सेंदरा' धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस अवसर पर आदिवासी समाज के लोग परंपरागत अस्त्र-शस्त्र लेकर जंगलों की ओर निकल पड़े हैं. चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी के 193.22 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में आज विशु शिकार के तहत पारंपरिक आखेट किया जा रहा है. हालांकि, इस दौरान वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर वन एवं पर्यावरण विभाग पूरी तरह सतर्क है. सेंदरा के मद्देनजर विभाग ने व्यापक तैयारियाँ की हैं. दलमा की तलहटी में प्रवेश को नियंत्रित करने के लिए कुल 17 चेकनाके बनाए गए हैं, जिन पर वनकर्मियों की तैनाती की गई है. इन चेकनाकों पर किसी भी अवैध गतिविधि या कानून उल्लंघन पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है.
वन विभाग ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि सेंदरा के दौरान यदि किसी वन्य प्राणी का शिकार किया गया, तो यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन माना जाएगा और संबंधित व्यक्ति पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी. साथ ही विभाग ने अपील की है कि सेंदरा पर्व को केवल सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा के रूप में मनाया जाए. पारंपरिक हथियारों जैसे तीर-धनुष, भाला आदि तक ही इसका सीमित उपयोग हो. किसी भी प्रकार के आग्नेयास्त्र, जाल, नशीली दवाओं या आधुनिक हथियारों के इस्तेमाल पर सख्त प्रतिबंध रहेगा. पिछले वर्ष की घटनाओं के मद्देनजर विभाग ने इस बार 2025 में दलमा क्षेत्र को पांच जोन में विभाजित किया है, जिनमें प्रत्येक जोन के लिए अलग-अलग प्रभारी नियुक्त किए गए हैं. इन अधिकारियों के पास सुरक्षा और निगरानी की पूरी जिम्मेदारी होगी.