प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: विष्णुगढ़ प्रखंड क्षेत्र के क ई सरकारी विद्यालयों में हालात चिंताजनक हैं , विद्यालय के छात्र छात्राएं विद्यालय की दीवार फांद कर भाग रहे हैं. यह स्थिति न केवल विद्यालयों के बदहाल व्यवस्था को उजागर करती है , बल्कि बच्चों के शिक्षा के प्रति बढ़ती उदासीनता और बच्चों के अभिभावकों की लापरवाही को भी रेखांकित करती है. हाल हीं में प्लस टू उच्च विद्यालय विष्णुगढ़ में यह देखने को मिला कि विद्यालय के छात्र कक्षा से गायब थे, और कुछ विद्यालय की दीवार फांद कर विद्यालय परिसर से बाहर निकलते हुए पाए गए. जब स्थानीय लोगों ने जब इस पर ध्यान दिया तो पता चला कि यह कोई पहली घटना नहीं है. विद्यालय के बच्चे नियमित रूप से ऐसे हीं स्कूल से निकल जाते हैं. क्योंकि न तो उन्हें पढ़ाई-लिखाई में कोई रुचि है और न हीं स्कूल में कोई ऐसा वातावरण हीं तैयार किया गया है जो उन्हें ऐसा करने से रोक सके. स्कूलों में पढ़ाई का अभाव , शैक्षणिक गतिविधियों की कमी , एवं बुनियादी सुविधाओं की बदहाली ने बच्चों को शिक्षा से दूर कर दिया है. परंतु सबसे बड़ी चिंता की यह बात है कि बच्चों के माता-पिता और अभिभावक भी इस गंभीर स्थिति को लेकर उदासीन बने हुए हैं. वहीं अधिकांश अभिभावकों को यह भी जानने की फुर्सत नहीं है कि स्कूल गए हैं या नहीं , पढ़ाई कर रहे हैं या नहीं. कुछ अभिभावक यह सोचकर संतुष्ट हो जाते हैं कि बच्चे नामांकित हैं पर वे शिक्षा की गुणवत्ता और उनके भविष्य को लेकर वे गंभीर नहीं हैं. यह मानसिकता शिक्षा व्यवस्था में सुधार के रास्ते एक बड़ी रूकावट बनती जा रही है . स्थानीय सामाजिक संगठनों और शिक्षाविदों का मानना है कि जब तक अभिभावकों को शिक्षा के महत्व का एहसास नहीं होगा और वे अपने बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित नहीं करेंगें, तब तक केवल स्कूल की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाकर भी कोई बड़ा बदलाव नहीं लाया जा सकता है. यह केवल स्कूल की दीवार नहीं है, जिसे बच्चे फांदते हैं, बल्कि वे उस भविष्य से भी दूर जा रहें हैं जिसे शिक्षा हीं उज्जवल बना सकती है. समय के रहते बच्चों , शिक्षकों और अभिभावकों तीनों को जिम्मेदारी के साथ जोड़ना अब अनिवार्य हो चुका है.
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