आर्यन श्रीवास्तव/न्यूज़11 भारत
कोडरमा/डेस्क: जहां एक ओर पूरे देश में मजदूर दिवस के अवसर पर श्रमिकों के सम्मान में भाषण, रैलियां और छुट्टियां दी जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर कोडरमा के झुमरीतिलैया शहर की मजदूर मंडी में रोज की तरह आज भी मजदूर सुबह-सुबह अपने औजार और उम्मीदें लेकर खड़े नजर आए. इनके लिए कैसा मजदूर दिवस और कहे का सम्मान.
आज अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस है. आज जहां मजदूरों को सम्मान देने और उनके सामाजिक स्तर में सुधार की चर्चा हो रही है, लेकिन उससे उलट तस्वीर आज कोडरमा के झुमरी तिलैया के इस श्रमिक चौक पर नजर आ रही है, जहां हाथों में औजार और आंखों में उम्मीद लिए इस चौक पर खड़े हैं, ताकि उन्हें आज रोजगार और मजदूरी मिल सके.
बिहार के पहाड़पुर, रजौली, टनकुप्पा, गिरिडीह के सरिया, पारसनाथ से आने वाले मजदूरों के साथ स्थानीय मजदूरों का झुमरीतिलैया के इस श्रमिक चौक पर जमावड़ा लगता है. मजदूरों का साफ़ कहना है कि अगर आज के दिन वे मजदूर दिवस मनाएंगे तो वे और उनका परिवार क्या खाएगा.
इस मंडी में कोई भी अवकाश नहीं होता. यहां न तो मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी की गारंटी मिलती है और न ही स्वास्थ्य सुरक्षा या सामाजिक लाभ. 365 दिन इस श्रमिक चौक पर जमा होने वाले मजदूरों की विडंबना यह है कि घर से मजदूरी की उम्मीद में ये यहाँ आते तो जरूर है, लेकिन मजदूरी मिलेगा या खाली हाँथ लौटना होगा, ये भी नही पाता.