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रांची/डेस्क: लगता है अमेरिका का दादागीरी भारत की लम्बी चुप्पी के बाद बौखलाहट में बदलने ही. एक तो डोनाल्ड ट्रम्प के अनर्गल टैरिफ वार के दुष्परिणाम अमेरिका में ही सामने आ ने लगा हैं, वहीं दूसरी ओर वहां का व्यापार भी प्रभावित होने लगा है, इन बातों से भी लगता है अब अमेरिकी प्रशासन के माथे पर बल पड़ने लगे हैं. तभी व्हाइट हाउस की ओर से एक खुलासा किया गया है, इसे खुलासा से ज्यादा अमेरिकी सफाई कहना बेहतर होगा. व्हाइट हाउस की ओर से कहा गया कि अमेरिका ने भारत पर जो टैरिफ बढ़ाये हैं, उसके पीछे मकसद रूस पर दबाव बनाना था. यह बयान अमेरिकी व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने जारी किया है.
लेविट ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अमेरिका ने यूक्रेन के साथ युद्ध को रोकने के लिए रूस पर अतिरिक्त दबाव बढ़ाने के लिए भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया था. लेविट ने कहा, कि अमेरिका रूस और यूक्रेन युद्ध को समाप्त होते देखना चाहता है और वह इस रास्ते पर काफी आगे निकल गया है. उम्मीद है राष्ट्रपति ट्रंप यूक्रेन युद्ध को जल्द से जल्द समाप्त करना चाहते हैं. व्हाइट हाउस ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से ट्रम्प की वार्ता को सराहनीय कदम बताया. उसने कहा कि दोनों देशों के राष्ट्रपति के साथ ट्रम्प की फिर वार्ता होगी और सकारात्मक परिणाम निकलेगा.
व्हाइट हाउस चाहे जो भी कह रहा है. रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों के साथ ट्रम्प की वार्ता का चाहे जो परिणाम सामने आये, लेकिन उसने भारत तो अतिरिक्त टैरिफ थोपा है, उसको लेकर अमेरिका की आगे की रणनीति क्या है. क्योंकि वह जब यह स्वीकार कर रहा है कि रूस पर दबाव बनाने के लिए अतिरिक्त टैरिफ थोपा गया है तो क्या अमेरिका उसमें कटौती करेगा? क्योंकि इससे पहले ट्रम्प ऐसा पहले भी कर चुके हैं, पहले उन्होंने अंधाधुंध टैरिफ बढ़ा दिया, फिर उसे घटा दिया.