प्रमोद कुमार/न्यूज़11 भारत बरवाडीह
बरवाडीह/डेस्कः- बहुचर्चित जल जीवन मिशन के तहत पंचायतों में संचालित जलापूर्ति योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार और सरकारी राशि की बंदरबांट का खुलासा हुआ है. यह गंभीर मामला गुरुवार को पुराने ब्लॉक परिसर में संयुक्त ग्राम सभा मंच के बैनर तले आयोजित जनसुनवाई के दौरान सामने आया.
जनसुनवाई में बलराम जी, गुरजीत सिंह, जेम्स हेरेंज, मिथलेश कुमार, पूर्वी जिला परिषद सदस्य कन्हाई सिंह, पश्चिमी जिला परिषद सदस्य संतोषी शेखर, जवाहर मेहता, सहायक अभियंता प्रशांत कुमार पांडेय समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे.कार्यक्रम में क्षेत्र के जल संकट और सरकारी योजनाओं की विफलताओं पर विस्तार से चर्चा की गई.
स्थलीय सत्यापन में सामने आईं अनियमितताएं
संयुक्त ग्राम सभा मंच द्वारा प्रखंड के चुंगरु, हरातू, लात, केड़, छिपादोहर, कुचिला, उक्कामाड़ और मोरवाईकला पंचायतों के अंतर्गत आने वाले 20 गांवों में 1 मई से 13 मई तक जल जीवन मिशन पोर्टल में दर्ज सूचनाओं का स्थलीय सत्यापन किया गया. इस दौरान कई गंभीर अनियमितताएं और लापरवाहियां उजागर हुईं, जिन पर ग्राम सभाओं में चर्चा कर प्रस्ताव पारित किए गए.
ग्रामीणों की व्यथा: न नल में जल, न टंकियों में पानी
ग्रामीणों ने जनसुनवाई में खुलकर अपनी समस्याएं रखीं. उन्होंने बताया कि कई गांवों में आज भी लोग नदी और नालों का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं, जबकि सरकार “हर घर नल, हर घर जल” का दावा करती है.
कई जगहों पर पाइपलाइन तो बिछा दी गई है, लेकिन नलों में पानी नहीं आता. कुछ जगहों पर टंकियां बनाई गई हैं, जो वर्षों से खाली पड़ी हैं. कई कार्य अधूरे छोड़ दिए गए हैं, और कहीं-कहीं बिना कार्य किए ही भुगतान कर दिए गए हैं.
उच्चस्तरीय जांच की मांग
जनसुनवाई में ग्रामीणों ने मांग की कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल का उनका हक समय पर मिले.
यह जनसुनवाई इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि सरकारी कागजों में भले ही जल जीवन मिशन सफल दिख रहा हो, लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि आज भी कई गांवों के लोग जल संकट से जूझ रहे हैं.