प्रमोद कुमार न्यूज़/11 भारत
बरवाडीह/डेस्क: बरवाडीह प्रखण्ड क्षेत्र के पोखरी कला में शांति और सद्भाव के साथ मातम का पर्व मोहर्रम जेनरल खलीफा अरसदुल कादरी के नेतृत्व में मनाया जाएगा उक्त बातें सईदना कमेटी के जनरल सदर अब्दुल मनान अंसारी ने कहा है.इस दौरान मनान अंसारी ने कहा कि मुहर्रम की सप्तमी (सातवाँ दिन) शांति और पूर्वजों की याद में मनाया जाएगा.व चादर पोशी पूरे गाजे बाजे के साथ किया जाएगा. मुहर्रम का महीना, जो इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है. मुसलमानों के लिए शोक का समय होता है. इस दौरान, वे कर्बला की लड़ाई में शहीद हुए इमाम हुसैन और उनके साथियों को याद करते हैं.मुहर्रम के दौरान,मुसलमान विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और जुलूसों में भाग लेते हैं. वे इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए शोक मनाते हैं. मुहर्रम का सातवाँ दिन, जिसे सप्तमी कहा जाता है.भी महत्वपूर्ण है. इस दिन,मुसलमान विशेष रूप से इमाम हुसैन और उनके साथियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
मुहर्रम इस्लामी इतिहास में एक महत्वपूर्ण महीना है, खासकर मुसलमानों के लिए, क्योंकि यह इमाम हुसैन की शहादत का महीना है.मुहर्रम का दसवां दिन, जिसे आशूरा कहा जाता है, सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन, मुसलमान इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत को याद करते हुए शोक मनाते हैं.मुहर्रम के दौरान, विशेष रूप से आशूरा के दिन, जुलूस निकाले जाते हैं. इन जुलूसों में, मुसलमान इमाम हुसैन की याद में मातम मनाते हैं और धार्मिक गीत गाते मुहर्रम का महीना शांति और सहनशीलता का भी प्रतीक है. मुसलमान इस महीने में शांति और सद्भाव का संदेश देते हैं.
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