न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: महान विभूतियों के नाम पर हेमंत सरकार घटिया स्तर की राजनीति पर उतर आई है. झारखंड को अलग राज्य बनानेवाले श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर चल रहे अटल क्लिनिक का नाम बदलना बिलकुल अनुचित और सरकार का मानसिक दिवालियापन है. उक्त बातें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहीं.
उन्होंने कहा कि मदर टेरेसा का मैं सम्मान करता हूं, लेकिन उनके नाम पर कुछ संस्थाओं ने जिस तरह का काम किया हैं, नवजात बच्चों के साथ उनका क्या व्यवहार रहा है, यह पूरा देश जानता है. निर्मल हृदय नामक संस्था पर तो बच्चे बेचने तक के मामले सामने आ चुके हैं. लोगों के मन में यह सवाल हैं कि झारखंड में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हो रहे हैं, क्या यह कदम भी उसी कड़ी का हिस्सा तो नहीं? अटल क्लिनिक के नाम बदलने का निर्णय झारखंड के निर्माता अटल जी का नाम लोगों की स्मृति से हटाने की साजिश है. मेरा मानना है कि सरकार के इस निर्णय को न तो झारखंड के आदिवासी मानेंगे, न अन्य जनता स्वीकार नहीं करेगी.
पुरानी योजना का नाम बदलने की बजाय बेहतर होता कि सरकार राज्य की बदहाल स्वास्थ्य या शिक्षा की बेहतरी के लिए नई योजना मदर टेरेसा के नाम लाती, तो कुछ बात होती. नाम बदलने की परिपाटी की शुरुआत करके जेएमएम-कांग्रेस सरकार ने नई तरह की राजनीति को जन्म दिया है, इसका खामियाजा उन्हें भी भुगतना पड़ेगा.
अटल जी की पुण्यतिथि पर झारखण्ड के शहरी क्षेत्रों में रहने वाले गरीब लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश से अटल क्लिनिक की शुरुआत 16 अगस्त 2019 में की गई थी. पिछले छह सालों में सरकार कुछ नया नहीं कर पा रही है, तो हमारी योजनाओं का नाम बदलकर अपनी पीठ थपथपा रही है. मैं सरकार से नाम बदलने के निर्णय को वापस देने की मांग करता हूं.