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रांची/डेस्क: झारखंड के पूर्व सीएम चम्पाई सोरेन ने एक्स पर पोस्ट कर संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ का खुलासा कर दिया है. चम्पाई ने माना कि संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण आदिवासियों की अस्मिता पर सीधा हमला हो रहा है. उन्होंने पोस्ट में कहा है कि बीजेपी को छोड़कर अन्य कोई भी पार्टी इस मामले को लेकर गंभीर नहीं है इसलिए उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया है. वहीं दूसरी तरफ संथाल के 6 जिलों के डीसी ने हाईकोर्ट में शपथपत्र दायर कर दिया है कि संथाल में कोई भी बांग्लादेशी घुसपैठ नहीं हुई है. ऐसे में यह सीधा सवाल खड़ा हो जाता है कि राज्य के एक्स सीएम भला गलत बयान क्यों जारी करेंगे. इस पोस्ट के बाद सियासी घमासान तेज हो गया है. उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया है कि 5 सितम्बर को बांग्लादेशी घुसपैठ पर होने वाली सुनवाई में आईबी को सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपनी है.
क्या कहा चंपाई ने
चंपाई सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि जोहार साथियों, पिछले हफ्ते (18 अगस्त) एक पत्र द्वारा झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी. उसके बाद, मैं लगातार झारखंड की जनता से मिल कर, उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा. कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही, और उन्होंने ही सन्यास लेने का विकल्प नकार दिया.
पार्टी में कोई ऐसा फोरम/मंच नहीं था, जहां मैं अपनी पीड़ा को व्यक्त कर पाता तथा मुझ से सीनियर नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं. आज बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है. इस से दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं. इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है.
आदिवासियों एवं मूलवासियों को आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जायेगा. पाकुड़, राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गई है. राजनीति से इतर, हमें इस मुद्दे को एक सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, तभी आदिवासियों का अस्तित्व बच पाएगा.
इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है और बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही है. इसलिए आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में, मैने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में आस्था जताते हुए भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का फैसला लिया है. झारखंड के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, पिछड़ों, गरीबों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं एवं आम लोगों के मुद्दों एवं अधिकारों के संघर्ष वाले इस नए अध्याय में आप सभी का सहयोग अपेक्षित है. आपका, चम्पाई सोरेन.