न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: देशभर के 30 हजार से ज्यादा स्कूलों से एफिलिएटेड CBSE ने मातृभाषा को लेकर ऐतिहासिक कदम उठाया हैं. अब 3 से 11 साल के बच्चों की पढ़ाई उनकी मातृभाषा में कराई जाएगी. इसके लिए CBSE ने नयी गाइडलाइंस जारी करते हुए सभी स्कूलों के छात्रों की मातृभाषा की पहचान करने और उसकी मैपिंग जुलाई से पहले पूरी करने को कहा हैं.
क्या कहती है नई गाइडलाइंस?
CBSE का यह निर्देश राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) और स्कूल शिक्षा ढांचा 2023 (NCFSE 2023) के अनुसार जारी किया गया हैं.इसमें कहा गया है कि प्री-प्राइमरी से कक्षा 2 तक की पढ़ाई घरेलू भाषा, मातृभाषा या परिचित क्षेत्रीय भाषा में होनी चाहिए, जिसे सर्कुलर में R1 भाषा कहा गया हैं. कक्षा 3 से 5वीं तक छात्र चाहें तो R1 में पढ़ाई जारी रख सकते है या किसी दूसरी भाषा का भी विकल्प चुन सकते हैं.
क्यों जरुरी है मातृभाषा में पढ़ाई?
NEP 2020 और NCFSE 2023 दोनों इस बात पर जोर देते है कि बच्चे अपनी मातृभाषा में सबसे तेजी से और गहराई से कॉन्सेप्ट समझते हैं.रिपोर्ट के मुताबिक, 8 साल की उम्र तक घरेलू भाषा में पढ़ाई से बच्चों की समझ और सीखने की क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी होती हैं.
CBSE का मास्टर प्लान
CBSE ने सभी एफिलिएटेड स्कूलों से कहा है कि वे मई के अंत तक NCF कार्यान्वयन समिति का गठन करें. यह समिति स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की मातृभाषा की पहचान कर उसके आधार पर जरुरी भाषाई संसाधनों की व्यवस्था करेगी.
क्या यह अनिवार्य होगा?
अब तक मातृभाषा में पढ़ाई को लेकर सिर्फ सलाह दी जाती थी लेकिन यह पहली बार है जब CBSE इसे लागू करने की दिशा में अनिवार्य बनाने की पहल कर रहा हैं. जुलाई से इसकी शुरुआत हो सकती है, जिससे देशभर के बच्चों को उनकी जड़ों से जुड़ने और बेहतर तरीके से सीखने का मौका मिलेगा.