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बिहार/डेस्क: बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी मुहिम को गुरुवार को बड़ी सफलता मिली जब सुपौल समाहरणालय स्थित आईसीडीएस कार्यालय में घूसखोरी के मामले में जिला प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दो कर्मचारियों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया. जिलाधिकारी सावन कुमार के निर्देश पर हुई इस कार्रवाई में आईसीडीएस की जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (डीपीओ) शोभा सिन्हा और डाटा ऑपरेटर चंदन कुमार को घूस लेते हुए पकड़ा गया. इनके पास से लगभग दो लाख रुपये की नकद राशि भी बरामद की गई.
नियुक्ति के बदले 25-25 हजार की मांग
सूत्रों के अनुसार, डीपीओ शोभा सिन्हा ने हाल ही में चयनित महिला पर्यवेक्षिकाओं (एलएस) से औपचारिक नियुक्ति के लिए प्रति व्यक्ति 25 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की थी. गौरतलब है कि 20 जनवरी को मुख्यमंत्री के सुपौल दौरे के दौरान 15 एलएस को नियुक्ति पत्र सौंपे गए थे, लेकिन उनकी तैनाती अब तक लंबित थी. आरोप है कि डीपीओ द्वारा जानबूझकर नियुक्ति में देरी कर उन्हें रिश्वत देने के लिए मजबूर किया गया.
छापेमारी में मिली भारी रकम
जिलाधिकारी को बुधवार को गुप्त सूचना मिली कि गुरुवार को आईसीडीएस कार्यालय में नव नियुक्त एलएस से पैसे वसूले जाएंगे. इसके बाद एसपी शरथ आरएस के नेतृत्व में एसडीएम इंद्रवीर कुमार, बीडीओ और अन्य अधिकारियों की टीम ने छापेमारी की योजना बनाई. गुरुवार को लगभग चार घंटे तक चले इस अभियान में डीपीओ शोभा सिन्हा के कार्यालय कक्ष और डाटा ऑपरेटर चंदन कुमार के पास से भारी मात्रा में नकद बरामद हुई.
शिकायतों के बावजूद कार्रवाई से बचती रही थीं डीपीओ
बताया जाता है कि डीपीओ शोभा सिन्हा पहले भी कई विवादों में रही हैं. उनके सख्त रवैये और अनुशासनात्मक व्यवहार की चर्चा आम लोगों के बीच थी. उन पर पहले भी कई भ्रष्टाचार और व्यवहार संबंधी शिकायतें दर्ज की गई थीं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई थी. गुरुवार की गिरफ्तारी ने उनकी छवि को बड़ा झटका दिया है.
जिलाधिकारी ने दी स्पष्ट चेतावनी
जिलाधिकारी सावन कुमार ने इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा, "सरकारी व्यवस्था में भ्रष्टाचार किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जो भी अधिकारी या कर्मचारी इसमें लिप्त पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी." उन्होंने बताया कि इस पूरे मामले की गहन जांच की जा रही है और दोषियों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा.