बसंत साहु/न्यूज 11 भारत
सरायकेला/डेस्क: सरायकेला-खरसावां जिले के नीमडीह थाना क्षेत्र के रघुनाथपुर में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है जहां एक महिला ने अपने पति और एक अन्य युवती को बीच सड़क पर चप्पल से पिटाई कर दी. घटना में शामिल महिला की पहचान खरसावां प्रखंड की बुरुडीह पंचायत में कार्यरत कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर संचिता दास के रूप में हुई है.
संचिता ने नीमडीह थाना में आवेदन देकर अपने पति जितेंद्र नाथ दास, भसुर उत्तम कुमार दास और ससुर विवेकानंद दास पर दहेज की मांग, शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़ना और जबरन घर से निकालने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है. संचिता दास के अनुसारउसकी शादी 2017 में जितेंद्र नाथ दास से हुई थी.
प्रारंभिक वर्षों में सब कुछ ठीक रहा लेकिन पिछले एक साल से पति और ससुराल वाले उस पर मायके से दो लाख रुपये और एक मोटरसाइकिल लाने का दबाव बना रहे थे. संचिता ने यह भी आरोप लगाया कि जब उसने मांग पूरी करने में असमर्थता जताई तो उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया. संचिता का कहना है कि 6 जुलाई की शाम करीब पांच बजे उसके पति जितेंद्र नाथ दास ने एक युवती कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय नीमडीह के वार्डेन सविता हेम्ब्रम को घर लाकर यह दावा किया कि उन्होंने उससे शादी कर ली है. जब संचिता ने इसका विरोध किया तो पति, भसुर और ससुर ने मिलकर उसे पीटा और घर से जबरन निकाल दिया.
दूसरी ओर पति जितेंद्र नाथ दास ने घटना को लेकर अलग ही कहानी पेश की है. उसने बताया कि 6 जुलाई को वह सविता मैडम को बलरामपुर बाजार लेकर गया था और लौटते समय उसकी पत्नी पीछा करते हुए आ धमकी. जितेंद्र का दावा है कि उसकी पत्नी ने सविता और उसे बीच सड़क पर अपने भाई और अन्य साथियों के साथ मिलकर बुरी तरह पीटा. जितेंद्र के अनुसार घर लौटने के बाद भी उसकी पत्नी ने उसे पीटा, जिससे उसका ब्लड प्रेशर बढ़ गया. मामले को शांत करने के उद्देश्य से उसने सविता हेम्ब्रम के माथे पर सिंदूर लगा दिया जिससे स्थिति और बिगड़ गई. इसके बाद उसकी पत्नी थाने जाकर उस पर केस दर्ज करवाने चली गई. इस पूरे घटनाक्रम ने इलाके में सनसनी फैला दी है. पुलिस मामले की जांच कर रही है और वायरल वीडियो के आधार पर भी स्थिति की पुष्टि की जा रही है. फिलहाल प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया जारी है.
हांलांकि लोग दबे मुंह में बोल रहा है कि प्रीते मजीलो मन किबा हाड़ी किबा डोम का चरितार्थ बता रहे हैं.
ये शब्द हमारे यहां बड़े-बूढ़े लोग कहते थे.