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साहिबगंज/डेस्क: साहिबगंज जिला प्रशासन ने दो साल पहले 64 लाख की लागत से दो बोट एंबुलेंस की खरीदारी की थी. उद्देश्य बाढ़ के दौरान दियारा क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना था. पूरे राज्य में इस बोट एंबुलेंस की चर्चा हुई थी, लेकिन इस 64 लाख की बोट एंबुलेंस से 64 लोगों को भी लाभ नहीं मिला और यह बेकार हो गयी. एक बोट एंबुलेंस राजमहल के गंगा में तैर रही है तो दूसरी साहिबगंज में जंग खा रही है. इसकी खरीदारी डीएमएफटी फंड से हुई थी. दो साल तक आपूर्तिकर्ता को इसका मेंटनेंस करना था. उसके बाद जिला प्रशासन की देखरेख में चलना था. लेकिन दो साल के अंदर ही सारी व्यवस्था चौपट हो गई. मरीज को मिलने वाली सुविधा बंद हो गई. आपूर्तिकर्ता ने बकाया राशि नहीं होने से संचालन से हाथ खड़ा कर दिया. अब भी आपूर्तिकर्ता का 20 लाख रुपया बकाया भी हो गया है. वहीं अब सिविल सर्जन इसको चलाने की पहल तो कर रहे है, लेकिन यह पहल पर हंसी आती है. अब सिविल सर्जन से जब इसके बारे मे पूछा जाता है तो वह कहते है कि बोठ चलाने के लिए आदमी खोजा जा रहा है. और तो और सिविल सर्जन ने हमसे से कहा कि आप ही खोज दीजिए तो चल जायेगा.
वहीं, यह बोट बाढ़ के दौरान काफी उपयोगी थी. जिले के सदर प्रखंड के साथ-साथ राजमहल व उधवा दियारा में बड़ी संख्या में लोग रहते हैं. बरसात के दिनों में दियारा में रहनेवाले लोगों को स्वास्थ्य समस्या होने पर काफी परेशानी होती है. नाव से मरीजों को लेकर स्वजन अस्पताल पहुंचते हैं. कई बार नाव नहीं मिलने पर गर्भवती मरीज की मौत तक हो चुकी है. इन समस्याओं को देखते हुए जिला प्रशासन ने दो बोट एंबुलेंस की खरीदारी की थी. एक साहिबगंज में रहा तो दूसरा राजमहल भेजा गया था, ताकि 83 किमी तक बहने वाली गंगा को दोनों बोट एंबुलेंस कवर कर सके. प्रति बोट एंबुलेंस की कीमत 29 लाख 17200 रुपया थी. प्रत्येक साल ईधन खर्च, चालक का वेतन, आक्सीजन, स्मार्ट फोन का खर्च डीएमएफटी से होना था. प्रत्येक साल इसके रिनुवल का प्रावधान था. प्रत्येक बोट एंबुलेंस में दो-दो चालक रखना था ताकि दिन रात शिफ्ट में चलाया जा सके. यह बोट एंबुलेंस निशुल्क थी. लेकिन खरीद के बाद इसका निबंधन व इंश्योरेंस ही नहीं हो पाया. बताया गया कि जिस साइज की बोट एंबुलेंस थी, उसके निबंधन का कोई प्रावधान ही नहीं है. ऐसे में बिना निबंधन व इंश्योरेंस के अधिकारियों ने उसके संचालन की अनुमति देने से इन्कार कर दिया. इसी वजह से मामला फंस गया. अब लोगो ने इसे चलाने को लेकर प्रशासन और स्वस्थ विभाग से गुहार लागाई है.
जब बोट एंबुलेंस की साहिबगंज की गंगा मे चलाने की शुरुआत की गई थी, तब इसने कई सुर्खियां बंटोरी थी. लेकिन आखिर यह किसकी लापरवाई है जो यह 64 लाख की लगात की राशि बर्बाद होने के कगार पर है. प्रशासन को इसकी सुध लेना चाहिए. यह एक अच्छी पहल थी. लाखों दियारावासी को इससे लाभ मिलता. प्रशासन इसे दुरुस्त कर चलाने का प्रयास करे, ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके.