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बिहार/डेस्क: बकरी पालक महिलाओं की जीवन को और बेहतर बनाने को ले काम कर रहें हैं. सेवा भारत के पहल पर बकरी पालक महिला अब सिर्फ बकरी को पाल कर बेचने भर सीमित नहीं है बल्कि उस बकरी से ज्यादा से ज्यादा आमदनी कैसे किया जाए इस पर भी काम कर रही है. जहां अब बकरी के अवशिष्ट से खाद बनाने का काम किया जा रहा है तो वहीं एसबीआई फाउंडेशन पहल पर बकरी पालक 9 महिलाओं का एसएसजी ग्रुप के द्वारा अब बकरी के हाई पौष्टिक मिल्क से वे नहाने का सुगंधित साबुन भी तैयार कर रही है.
सदर प्रखंड के कटारिया में महिओं के द्वारा बकरी के दूध से नहाने का साबुन बनाया और बेचा जा रहा है. यह साबुन स्किन के लिय काफी ही अच्छा हैं. इस साबुन का नाम उन्होंने amoolya, goat milk soap रखा है, यह तीन फ्लेवर में उपलब्ध है. हालांकि की यह पहल अभी सीमित संसाधनों और स्थानीय मार्केट तक ही फैला है. पर यह आइडिया अब बकरी पालक महिलाओं के लिए एक आर्थिक मजबूती का केंद्र बिंदु बनता जा रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि महिलाएं बकरी के दूध को 400 रुपया किलों बेचती है, जिससे 125 साबुन के लगभग बनाया जाता है. इतना ही नहीं वह टेक्नीशियन के साथ मिल साबुन खुद बनाती है, जिसके उन्हें मेहनताना भी मिलता है और तो और वे घूम-घूम के साबुन भी बेचती है जिसका कमीशन में उन्हें मिलता है. जिस कारण एक साथ वे तीन कमाई करती है. महिलाओं ने बताया कि पहले उन्हें पैसों के लिए पति पे निर्भर रहना पड़ता था पर अब उनके पास उनका खुद का पैसा है और जरूरत पड़ने पर वे अपनी पति को मदद भी करती है.
वहीं संस्था की इंचार्ज माया देवी ने बताया कि सेवा भारत के द्वारा बकरी पालक महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम किया जा रहा हैं. उसके बाद एबीआई फाउंडेशन के फेलोशिप करने आए छात्रों के द्वारा बकरी के दूध से साबुन को बनाया गया, जो काफी अच्छा था. उसके बाद वे दिल्ली से इसका प्रशिक्षण प्राप्त कर सर्टिफिकेट ले आई और यहां बकरी के दूध से साबुन बनाने का काम शुरू हुआ. इसमें महिलाओं का ग्रुप बना उनका बैंक में खाता खुलवाया गया. अब उन महिलाएं को तीन तरफ से इनकम हो रहा है और साबुन के गुणवत्ता और पैकेजिंग भी काफी बेहतर हैं.
सेवा भारत की जिला समन्वयक श्वेता ने बताया कि बिहार में महिलाएं बकरी पालन करती है पर उसे अपना आय का कैसे साधन बनाए ये उन्हें नहीं पता था. सेवा भारत ने महिलाओं को उन्नत बकरी पालन के प्रशिक्षण दिए तो वहीं एसबीआई फाउंडेश के फेलोशिप कर रहे छात्रों ने बकरी के दूध से कैसे साबुन बनाया जाए. इस पर रिसर्ज कर goat milk soap बनाने के यूनिट लगाने में काफी सहयोग दिया है. अब इस यूनिट को और आगे ले जाने की तैयारी की जा रही है ताकि बकरी पालक बहनों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके.