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रांची/डेस्क: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ रिटायर होने के पांच महीने बाद भी अपने आधिकारिक बंगले 5, कृष्ण मेनन मार्ग पर रह रहे है, जिस पर हाल ही में विवाद गहरा गया हैं. लेकिन जब उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई, तो हर किसी की आंखें नम हो गई. उन्होंने बताया कि उनकी दोनों बेटियां एक दुर्लभ न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर से पीड़ित है, जिसकी वजह से उन्हें विशेष देखभाल और सुविधाओं की जरूरत हैं. इसी कारण परिवार बंगले से स्थानांतरण में समय ले रहा हैं.
पूर्व CJI ने स्पष्ट किया कि उनका परिवार बंगले को खाली करने की प्रक्रिया में है और उनका अधिकांश सामान पहले ही नए घर में भेजा जा चुका हैं. जैसे ही वैकल्पिक आवास पूरी तरह तैयार हो जाएगा, वे वहां स्थानांतरित हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि उनकी बेटियां प्रियंका और माही नेमालाइन मायोपैथी नामक एक जेनेटिक बीमारी से जूझ रही है, जिससे मांसपेशियों पर गहरा असर होता हैं. ऐसे में उन्हें एक व्हीलचेयर अनुकूल घर की आवश्यकता हैं.
उन्होंने बताया कि परिवार ने बेटियों की 24 घंटे देखभाल के लिए प्रशिक्षित नर्स की व्यवस्था भी कर रखी हैं. शिमला में एक पारिवारिक छुट्टी के दौरान की घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी बड़ी बेटी 2021 में 44 दिनों तक आईसीयू में भर्ती रही थी और अब उसे ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब के सहारे सांस लेनी पड़ती हैं.
इस मामले में उठे विवादों को शांत करते हुए उन्होंने यहभी बताया कि उनके पूर्ववर्ती न्यायमूर्तियों यूयू ललित और एनवी रमना को भी सेवानिवृत्ति के बाद निर्धारित अवधि तक सरकारी आवास में रहने की सुविधा दी गई थी. चंद्रचूड़ ने बताया कि उन्होंने वर्तमान CJI संजीव खन्ना को पहले ही सूचित कर दिया था कि वे 14, तुगलक रोड स्थित पुराने आवास में वापस जाना चाहते है लेकिन खन्ना ने उन्हें वर्तमान आवास पर ही रहने की सलाह दी. बाद में चंद्रचूड़ ने 18 दिसंबर को एक पत्र लिखकर 30 अप्रैल तक का समय मांगा और 28 अप्रैल को एक और पत्र के माध्यम से 30 जून तक विस्तार की मांग की. हालांकि, इस पर कोई औपचारिक जवाब नहीं मिला. उन्होंने बताया कि नया आवास दो साल से खाली पड़ा था और उसकी मरम्मत का काम अब पूरा होने के करीब हैं.
उन्होंने यह भी साझा किया कि जब वे CJI बने थे, तब उन्होंने कुछ समय तक अपने पुराने छोटे घर में ही काम किया क्योंकि परिवार को वहां सुविधा थी. लेकिन बाद में आधिकारिक कार्यों के लिए स्थान अपर्याप्त होने के कारण उन्होंने कृष्ण मेनन मार्ग स्थित बंगले में स्थानांतरित होने का निर्णय लिया.