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रांची/डेस्क: एकादशी व्रत के बारे में तो सबको पता है लेकिन क्या आपको यह पता है की आखिर क्यूं एकादशी के दिन चावल न खाने की मान्यता हैं?
जानें कौन थी एकादशी?
एकादशी एक देवी थीं, जिनका जन्म भगवान श्री विष्णु से हुआ था. एकादशी माता ने असुरों को परास्त करने में भगवान श्री विष्णु की मदद की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान श्री विष्णु ने एकादशी को वरदान देने की इच्छा जाहिर की थी. जिसके बाद एकादशी माता ने भगवान श्री विष्णु से यह कहा कि उन्हें यह वरदान चाहिए कि जो भी मनुष्य एकादशी व्रत का पालन करेगा, उस व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाएंगे और साथ ही उसे बैकुंठ की प्राप्ति होगी.
एकादशी पर चावल क्यों नहीं खा सकते हैं?
इस विषय पर अनिरुधाचार्य महाराज द्वारा एक कथा सुनाई गई है, जिसके अनुसार, एक बार भगवान श्री विष्णु ने एकादशी माता को सारे पाप नष्ट करने को कहा था. जब एकादशी माता सारे पाप नष्ट कर रही थी तो कुछ पाप चावल में जाकर छिप गए. इस बात से नाराज़ होकर एकादशी माता ने चावल को शार्प दिया कि चावल ने पाप को जगह दी है, इसलिए एकादशी के दिन कोई भी चावल ग्रहण नहीं करेगा. ऐसा मानना है कि एकादशी के दिन सारे पाप चावल में होते है, इसलिए इस दिन चावल खाने से परहेज़ किया जाता हैं.
व्रत का पारण
एकादशी के दिन कोई भी चावल नहीं खाता है पर उसके अगले दिन ही व्रत करने वालों को व्रत का पारण चावल खा कर ही करना होता हैं.