नंदकिशोर गुप्ता/न्यूज़11 भारत
गुमला/डेस्क: विकास की तमाम योजनाओं और सरकारी दावों के बावजूद डुमरी प्रखंड के ओखरगड़ा गांव की तस्वीर आज भी बदली नहीं है. आजादी के इतने साल बाद भी यहां के ग्रामीण शुद्ध पेयजल जैसी मूलभूत सुविधा के लिए दर-दर भटक रहे हैं. गांव में वर्षों पहले दो जलमीनार बनवाए गए थे, लेकिन दोनों ही वर्तमान में बंद पड़े हैं और एक बूंद पानी भी ग्रामीणों तक नहीं पहुंच रहा.
परिस्थिति ऐसी है कि ग्रामीणों को अपनी प्यास बुझाने और रोजमर्रा के कामों के लिए गांव के पास स्थित एक छोटे से झरिया जो बरसात के दिनों में पहाड़ से उतारकर जो पानी इकट्ठा होती है उसी पर निर्भर रहना पड़ रहा है. जो साफ-सफाई के अभाव में बेहद दूषित रहता है. मजबूरीवश ग्रामीण उसी पानी को पीते हैं. महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग दिन भर बर्तन लेकर झरिया से पानी ढोते हैं. कई बार पांव फिसलने से चोट भी लग चुकी है, लेकिन जनप्रतिनिधि और प्रशासन अभी तक उदासीन बना हुआ है.
ग्रामीणों का कहना है कि पानी लाने में भारी मशक्कत करनी पड़ती है, गर्मी के दिनों में झरिया सूख जाता है और बरसात में पानी गंदा हो जाता है. इस कारण उल्टी-दस्त, पेट दर्द और त्वचा संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी कभी झरिया के पानी की जांच नहीं कराई गई.
ग्रामीणों ने बताया कि दोनों जलमीनारों के निर्माण पर लाखों रुपये खर्च हुए, लेकिन आज तक वे चालू हालत में नहीं लाए गए. पाइपलाइन तो डाली गई पर पानी की आपूर्ति एक दिन भी नहीं हुई. ग्रामीणों ने कई बार पंचायत से लेकर प्रखंड एवं जिला प्रशासन तक गुहार लगाई है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.