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रांची/डेस्कः- केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि वक्फ सिर्फ एक इस्लामी विचार है न कि इस्लाम का मूल व अनिवार्य हिस्सा. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में कहा कि वक्फ बोर्ड सिर्फ धर्मनिरपेक्ष काम करते हैं. जबकि मंदिर एक धार्मिक संस्था के रुप में काम करते हैं. इस्लाम का ये कोई मूल व अनिवार्य हिस्सा नहीं है, इसाई में चैरिटी, हिन्दू में दान व सिख में सेवा की परंपरा होती है वैसे ही वक्फ है.
केंद्र ने साफ कहा कि वक्फ इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं बल्कि दान का सिर्फ एक प्रक्रिया है. वक्फ सिर्फ धर्मनिरपेक्ष कार्य करता है. जबकि मंदिर एक पूरी तरह से धार्मिक संस्ता होती है उनका प्रबंधन मुस्लिम व्यक्ति भी संभाल सकता है.
तुषार मेहता ने साफ कहा कि वक्फ भले एक इस्लामी विचार है पर इस्लाम का मूल या अनिवार्य हिस्सा नहीं है. सिर्फ इस्लाम में दान देने की एक व्यवस्था है.
केंद्र सरकार ने ये भी कहा कि अगर कोई सरकारी संपत्ति वक्फ बाय यूजर के तहत घोषित किया गया हो तो सरकार उसे वापस लेने का अधिकार रखती है. ये कोई मौलिक अधिकारी नहीं है.