प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
चतरा/डेस्क: कान्हाचट्टी प्रखण्ड के बेंगोकला पंचायत के दुरूह गांव बनियांबाँध में बुधवार को ग्रामीणों ने एक जंगली हिरण को मार कर उसका मांस गटक गए.लेकिन जब इसकी जानकारी गौतम बुद्ध अभ्यारण्य कोडरमा के वन कर्मियों और पदाधिकारियों को हिरण मारे जाने की सूचना मिली तो डी एफ ओ के निर्देश पर वनपाल कुलदीप कुमार महतो ने बताया कि बनियांबाँध के जंगलों में ग्रामीणों के द्वारा एक हिरण को मारे जाने की सूचना प्राप्त हुई थी जिसके बाद गांव में सर्च किया गया और सर्च के बाद गाँव से ही हिरण का सिंग भी बरामद हुई है.तथा एक वीडियो भी वायरल हुई,जिसके आधार पर बनियाबन्ध के रहने वाले लगभग चार लोगों पर मामला वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया.
बताते चलें कि हिरण को मारने की सजा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत दी जाती है, और यह सजा कैद और जुर्माने के रूप में हो सकती है. दोषी व्यक्ति को 3 से 7 साल तक की कैद हो सकती है और 10,000 रुपये से 25,000 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इसके अतिरिक्त, कुछ मामलों में, अदालतें सजा को और बढ़ा सकती हैं, या अतिरिक्त जुर्माना भी लगा सकती हैं.
हिरण को मारना या उसका शिकार करना एक गंभीर अपराध है, क्योंकि हिरण वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित प्रजाति है.
विस्तार में:
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: यह अधिनियम भारत में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है.
हिरण मारने की क्या है सजा:-हिरण को मारने या शिकार करने के लिए, दोषी व्यक्ति को 3 से 7 साल तक की कैद और 10,000 रुपये से 25,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
अतिरिक्त सजा:-कुछ मामलों में, अदालतें सजा को और बढ़ा सकती हैं, या अतिरिक्त जुर्माना भी लगा सकती हैं.
सजा का कारण:-हिरण एक संरक्षित प्रजाति है, और इसे मारना या शिकार करना वन्यजीवों के संरक्षण के खिलाफ है.
यह भी पढ़ें: कटकमसांडी प्रखंड में वन विभाग बना है उदासीन, काटे जा रहे जंगल, किए जा रहे कृषि कार्य