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सिमडेगा/डेस्क: सिमडेगा में कई तरह का नशा अपने पैर पसारने लगा है. सिमडेगा की युवा पीढ़ी नशे की जद में डूबती चली जा रही है और इस नशे में सिमडेगा उड़ने लगा है. आदिवासी बहुल जिला सिमडेगा नशे की जद में समाने लगा है. सिमडेगा में शराब के साथ साथ गांजा, ड्रग्स, ब्राउन शुगर, नशीली दवा आदि का प्रचलन तेजी से बढ़ने लगा है. ये सभी नशीली चीजे सिमडेगा की युवा पीढ़ी को अपने चंगुल में फंसाकर सिमडेगा के भविष्य को खराब करने में लगी है.
अधिक पैसे कमाने की चाहत में नशे के सौदागर ओडिशा, बंगाल, नेपाल आदि से ब्राउन सुगर, पेइवॉन स्पा प्लस जैसे नशीली दवा, ड्राग्स, अफीम, चरस, गांजा आदि लाकर सिमडेगा के युवा पीढ़ी को हर तरह के नशे का लत लगा रहे है. युवा पीढ़ी इन नशों का सेवन कर खुद को खोखला करने में तुली हुई है. आदिवासी बहुल सिमडेगा के युवाओं को नशे में डूबता देख आदिवासी नेता भी काफी चिंतित नजर आने लगे हैं. आदिवासी नेता में जिले में तेजी से पैर पसारते नशे के कारोबार के लिए प्रशासन को दोषी मानते हैं.
सिमडेगा में पांव पसारते नशे के कारोबार और नशे की गिरफ्त में आती युवा पीढ़ी के संदर्भ में जब सिमडेगा पुलिस से बात की गई तो एसडीपीओ पवन कुमार ने बताया कि पुलिस जिले में नशे के बढ़ते कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए विशेष अभियान चला रही है. हाल के दिनों में पुलिस नशे के कुछ कारोबारियों पर कार्रवाई भी की है. पुलिस दावा करती है कि सिमडेगा को नशा मुक्त कर लिया जाएगा.
पुलिस नशे कारोबारियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई तो कर रही है. लेकिन ये कार्रवाई ऊंट के मुंह में जीरा के समान है. पुलिस के हत्थे अभी तक छोटी मछलियां ही हाथ लगी है. नशे के कारोबार के समंदर की बड़ी मछली अभी भी पुलिस के पहुंच से बहुत दूर है. जब तक नशे के कारोबार के बड़े शातिर नहीं पकड़े जाएंगे तब तक सिमडेगा की युवा पीढ़ी को बचाया नहीं जा सकता है.