न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः आदिवासी संगठनों ने आज, बुधवार ( 4 जून) को झारखंड बंद का ऐलान किया है. यह बंद सिरमटोली रैंप के विरोध में आदिवासी बचाओ मोर्चा और केंद्रीय सरना स्थल सिरमटोली बचाओ मोर्चा के बैनर तले बुलाया गया है. रांची के डोरंडा-सिरमटोली फ्लाईओवर रैंप विवाद, आदिवासियों के धार्मिक स्थल मरांग बुरू, पारसनाथ हिल्स गिरिडीह, लुगु बुरू, मुधर हिल्स पिठोरिया, दिउरी दिरी तमाड़ और बेड़ो महदानी सरना स्थल को बचाने समेत कई मांगों को लेकर विभिन्न आदिवासी संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बनाकर झारखंड बंद का ऐलान किया है. वहीं, बंदी के दौरान आवश्यक सेवाओं को बंद से अलग रखा गया है. दवा दुकानें, अस्पताल, एंबुलेंस सेवाएं और शवयात्राएं इससे प्रभावित नहीं होंगी. साथ ही परीक्षार्थियों के लिए छूट रहेगी.

तेज बारिश और आंधी के बीच भी बंद समर्थकों ने किया सड़क जाम
रांची के नगड़ी में तेज बारिश और आंधी के बीच भी बंद समर्थकों ने सड़क जाम किया. राज्य भर में झारखंड बंद की वजह से सड़कों पर भारी जाम की स्थिति बनी हुई हैं. सड़क जाम होने की वजह से वाहनों की लंबी कतर लग गई हैं. सिरम टोली रैंप विवाद सहित कई बिंदु पर सड़क जाम किया जा रहा हैं.

सड़क पर उतरे बंद समर्थक
झारखंड में बंद का असर दिखने लगा हैं. राजधानी रांची समेत की जगहों में बंद समर्थक पहुंचे हैं. मोरहाबादी के दीक्षांत मंडप के पास टायर जलाकर सड़क जाम किया गया हैं. मौके पर पुलिस भी मौजूद हैं. वहीं, कांके पतरातु मुख्य मार्ग को जाम किया गया हैं. बंद समर्थको ने सड़क पर बैरिकेटिंग कर जाम कर दिया हैं. जिससे लोगों को आने- जाने में परेशानी हो रही हैं.


करम टोली चौक पर भी आदिवासी समाज सड़क पर टायर जलाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

जेल मोड़ चौक पर आदिवासी समाज द्वारा सड़क को बंद कर विरोध- प्रदर्शन किया जा रहा हैं.
बंद का कई संगठनों का समर्थन
इस बंद को भारत आदिवासी पार्टी, आदिवासी बचाओ मोर्चा, केंद्रीय सरना समिति, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) और झारखंड पीपुल्स पार्टी (जेपीपी), जेएलकेएम जैसे कई संगठनों का समर्थन मिला है. बंद का असर आज, शाम 6 बजे तक रहेगा. इस दौरान कई मुद्दों को लेकर बंद समर्थक सड़कों पर उतरेंगे.
बता दें कि बंद से पूर्व संध्या, 3 जून को विभिन्न आदिवासी संगठनों के द्वारा मशाल जुलूस निकला गया था. आदिवासी बचाओ मोर्चा के संयोजक प्रेमशाही मुंडा ने आज झारखंड बंद को सफल बनाने के लिए राज्य के सभी सामाजिक, धार्मिक और आदिवासी-स्वदेशी संगठनों से सहयोग की अपील की हैं.