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रांची/डेस्क: आयुर्वेद में सबसे चमत्कारी पेड़ शीशम के पेड़ को माना जाता है. इसका हर भाग बहुत उपयोगी होता है. चमत्कारिक औषधीय गुण इसके पत्तों में पाए जाते है. यह पत्ते कुष्ठ रोग के इलाज में रामबाण औषधि है.
आयुर्वेदिक चिकित्सकों की माने तो इस पेड़ का हर एक भाग बहुत उपयोगी होता है. फर्नीचर निर्माण में भी शीशम की लकड़ी का उपयोग होता है. दवाई बनाने में इसके बीज का तेल काम आता है. शीशम के पेड़ के बारे में पौराणिक ग्रंथों में विस्तार से वर्णन मौजूद है. मोटी भूरे रंग की इसकी छाल होती है.
शीशम के औषधीय गुण
आयुर्वेद में शीशम के पेड़ का बड़ा महत्व है. अनेकों चमत्कारी औषधीय गुण इसके पत्ते में मौजूद है. आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के लिए शीशम की जड़, पत्ते, तना और पेड़ की अंदरूनी लकड़ी का उपयोग किया जाता है.
1. आंखों की बीमारी में इस्तेमाल : शीशम के पत्ते का रस शहद के साथ आंखों की बीमारी में किया जाता है. आंखों को इससे आराम मिलता है.
2. शरीर की जलन को दूर करने में शीशम का प्रयोग : जलने में शीशम के बीज से निकले तेल का प्रयोग किया जाता है. इस तेल से कई औषधि भी बनाई जाती है. अगर रोजाना शीशम के बीजों का तेल आग में जलने वाले स्थान पर लगाया जाए तो जलन का दर्द धीरे-धीरे खत्म हो जाता है.
3. एनीमिया के इलाज में फायदेमंद : शीशम के पत्ते का रस एनीमिया रोग में उपयोग किया जाता है. सुबह-शाम इसके सेवन से एनीमिया रोग से छुटकारा मिलता है.
4. हृदय रोग में फायदेमंद : शीशम का तेल हृदय रोग से ग्रसित रोगी के लिए बहुत उपयोगी साबित होता है. रक्त प्रवाह को शीशम का तेल बेहतर रखता है.
5. डिप्रेशन से दूर रखने में सहायक : शीशम का तेल अवसाद से ग्रस्त रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है. उदासी व निराशा इसके सेवन से दूर हो जाती है.
6. कुष्ठ रोग में फायदेमंद : कुष्ठ रोग के इलाज में, शीशम के छाल को पानी में उबालकर काढ़ा के रूप में शहद के साथ पीने से लाभ मिलता है.
7. टीबी की बीमारी में फायदेमंद : टीबी के उपचार में शीशम के पत्ते, कचनार के पत्ते व जौ को मिलाकर काढ़ा पीने से फायदा मिलता है. दस्त को भी इससे रोका जा सकता है.
Disclaimer : यह आलेख एक्सपर्ट्स की राय के आधार पर लिखी गई है. इस संबंध में उचित सलाहकार से सलाह जरुर लें.