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रांची/डेस्क: कहते है जब एक औरत मां बनती है तो उसका शरीर इस कदर टूटा है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती हैं. हर औरत अपनी जिंदगी में एक बार मां बनने का सुख प्राप्त करना चाहती हैं. जो औरत बाहर काम करती है उनके लिए हेल्थ और काम दोनों एक साथ बैलेंस करना बहुत मुश्किल हैं. जिसके कारण उनके लिए मैटरनिटी लीव बेहद जरुरी हैं. ऐसे में इस राज्य ने मैटरनिटी लीव के नियम को लेकर बदलाव किए हैं.
ओडिशा सरकार ने मैटरनिटी लीव को लेकर ऐसे नए दिशा-निर्देश जारी किए है, जो कई महिला कर्मचारियों के लिए राहत तो है लेकिन कुछ मामलों में संशय भी पैदा कर रहे हैं. मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की मंजूरी के बाद ये नियम लागू किए गए है, जो अब हर सरकारी महिला कर्मचारी के लिए अनिवार्य होंगे.
क्या है नए नियम?
सरकार ने अब साफ कर दिया है कि महिला कर्मचारी को 180 दिनों का मातृत्व अवकाश मिलेगा, जिसे वह डिलीवरी की अपेक्षित तारीख (EDD) से तीन महीने पहले और बच्चे के जन्म के छह महीने के भीतर कभी भी ले सकती हैं. ये लीव एक बार में या टुकड़ों में लिया जा सकता है लेकिन शर्त ये है कि डिलीवरी किसी मान्यता प्रापत मेडिकल सेंटर में ही हुआ हो.
चौंकाने वाली बात यह है कि महिला कर्मचारी बच्चे के जन्म के समय सेवा में नहीं थी लेकिन बाद में नौकरी ज्वाइन की है, तब भी वह बच्चे के छह महीने का होने तक लीव की हकदार है मगर ये लीव 180 दिन से कम भी हो सकता हैं. इसमें गर्भपात, मृत जन्म या नवजात कि मृत्यु के मामलों को भी शामिल किया गया हैं. यानी इन बेहद संवेदनशील मामलों में भी नियम सख्ती से लागू होंगे, जो भविष्य में विवाद की वजह बन सकते हैं.
कहीं राहत कहीं कड़ी शर्तें
जहां कुछ महिला कर्मचारियों को यह निर्णय लचीलापन और सुविधा देता नजर आ रहा हैं. वहीं कुछ लोग इसे लेकर संदेह और सवाल उठा रहे हैं. खासकर यह शर्त कि डिलीवरी केवल मान्यता प्राप्त चिकित्सा संस्थान में ही होना चाहिए, ग्रामीण क्षेत्रों या पारंपरिक प्रसव प्रणाली पर निर्भर महिलाओं के लिए चिंता का कारण बन सकती हैं.