प्रशांत शर्मा/न्यूज 11 भारत
चतरा/डेस्क: झारखंड में मोबाइल वेटनरी यूनिट के तहत कार्यरत पायलट और पारा वेट कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल को 10 दिन हो चुके हैं, लेकिन अब तक सरकार या विभाग की ओर से कोई ठोस पहल नहीं हुई है. इसका खामियाजा सीधे-सीधे ग्रामीण क्षेत्रों के मवेशियों को भुगतना पड़ रहा है.चतरा जिले के पत्थलगड़ा प्रखंड के ललकी माटी गांव में इसकी करुण तस्वीर सामने आई, जहां 10 दिन से बीमार बकरियों को इलाज नहीं मिल सका और वे तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया. पशु मालिक ने यूनिट 1962 पर कॉल किया, लेकिन हड़ताल के चलते कोई टीम मौके पर नहीं पहुंची. कर्मियों ने कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, झारखंड से जल्द समाधान निकालने की अपील की है, ताकि पशु चिकित्सा सेवाएं बहाल हो सके और योजना का लाभ राज्य के हर गांव तक पहुंचे.
स्पष्ट चेतावनी : समाधान नहीं, तो काम नहीं
संयुक्त समिति ने साफ कहा है कि जब तक उनकी मुख्य मांगें लंबित वेतन का भुगतान, वेतनमान में वृद्धि, नियुक्ति पत्र का वितरण, बीमा सुविधा का क्रियान्वयन एवं नियमित अवकाश पूरी नहीं होतीं, हड़ताल जारी रहेगी.
कर्मियों को बकाया है तीन माह से वेतन
हड़ताली कर्मियों का कहना है कि पूरे राज्य में करीब 472 पायलट और पारावेट तीन महीने से वेतन से वंचित है. कंपनी की ओर से केवल फंड की प्रतीक्षा का जवाब दिया जाता रहा है. कहा गया कि सेवा में आए 11 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब तक किसी भी कर्मचारी को नियुक्ति पत्र (जॉइनिंग लेटर) नहीं दिया गया. साथ ही, वादा किया गया बॉडी इंश्योरेंस भी लागू नहीं किया गया, जिससे कर्मियों का भविष्य असुरक्षित है. कर्मियों ने शिकायत की है कि उन्हें 11 महीने में न तो राष्ट्रीय, न ही राजकीय अवकाश मिला. त्योहारों पर भी ड्यूटी करनी पड़ी, जिससे निजी जीवन पर नकारात्मक असर पड़ा.