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बहरागोड़ा/डेस्क: बहरागोड़ा प्रखंड अंतर्गत बरसोल थाना क्षेत्र के बड़ाअर्जुना, सांड्रा और मंगला शासन दरखुली के रैयतदार ग्रामीणों ने प्रशासन से जल निकासी नाला को अवैध कब्जे से मुक्त कराने की पूर्वी सिंहभूम जिले के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी से गुहार लगाई है. उनका आरोप है कि सरकार द्वारा राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या एन एच-18 के चौड़ीकरण के दौरान अधिग्रहित भूमि में छोड़े गए पानी निकासी मार्गों पर भूमि माफियाओं एवं बिल्डरों द्वारा कब्जा कर निर्माण कार्य कराया जा रहा है, जिससे क्षेत्र में हजारों एकड़ फसल संकट में पड़ गई है.
रैयतों ने बताया कि झारखंड की सीमा से सटे दारीशोल तक एनएच-06 के दोनों ओर सरकार ने जल निकासी के लिए भूमि छोड़ी थी, ताकि किसानों के खेतों में पानी जमा न हो और खेती सुचारू रूप से हो सके. लेकिन हाल के वर्षों में कुछ जमीन खरीददारों ने इन नालों को मिट्टी और मुरम से भरवाकर समतल कर लिया, और उस पर पक्के निर्माण शुरू कर दिए हैं.
ग्रामीणों के अनुसार, इस समय धान की रोपाई का मौसम है, लेकिन जल निकासी का मार्ग बंद होने से खेतों में पानी भर गया है और पौधे सड़ रहे हैं. इससे सैकड़ों किसान आर्थिक नुकसान की चपेट में आ गए हैं. सबसे अधिक प्रभावित गांवों में बड़ाअर्जुना, सांड्रा और मंगला शासन दरखुली शामिल हैं, जहां लगभग हजार एकड़ खेतों की फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच चुकी है.
रैयतों ने बताया कि विषय से संबंधित भूमि मौजा संख्या 01 पर स्थित है, जो अत्यंत उपजाऊ और वर्षों से किसानों की आजीविका का मुख्य स्रोत रही है. लेकिन कुछ माफिया तत्वों द्वारा इस भूमि का व्यावसायिक उपयोग करते हुए जल निकासी व्यवस्था को बंद कर दिया गया है.
ग्रामीणों की मांग:
- अवैध रूप से कब्जा किए गए जल निकासी मार्ग की जांच कराई जाए.
- फौरन उस क्षेत्र को कब्जा मुक्त कर जल निकासी बहाल किया जाए.
- दोषी भूमाफियाओं और निर्माणकर्ताओं पर कड़ी कार्रवाई की जाए.
रैयतों ने उपायुक्त से करबद्ध प्रार्थना करते हुए कहा:
हमारे खेतों में धान की फसल सड़ रही है, पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं बची है. यदि समय रहते प्रशासन ने हस्तक्षेप नहीं किया, तो आने वाले दिनों में हम भूखमरी की स्थिति में आ जाएंगे.” किसानों की पीड़ा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. सरकारी योजनाओं के बावजूद यदि भूमाफिया इस तरह से जल निकासी जैसी बुनियादी व्यवस्था पर भी कब्जा कर लें, तो यह केवल कानून का उल्लंघन नहीं बल्कि किसानों की आजीविका पर सीधा हमला है. अब देखना है कि प्रशासन कब तक इस मामले में कार्रवाई करता है और रैयतों को राहत मिलती है या नहीं.