न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः राजधानी रांची समेत राज्यभर में लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ बड़े ही उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस त्योहार में छठव्रती भगवान भास्कर और छठी माईया की पूजा अर्चना करते हुए अपने बच्चों की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए 36 घंटों का निर्जला व्रत रखती है. साथ ही डूबते हुए भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य और उसके अगले दिन उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य देती है.
बता दें, लोक आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान 17 नवंबर को नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ. दूसरे दिन शनिवार को खरना की पूजा के बाद रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया. वहीं, आज सोमवार (20 नवंबर) को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही महापर्व का समापन हो गया. राजधानी रांची में प्रात:कालीन अर्घ्य का मुहूर्त सोमवार सुबह 6:05 बजे के बाद का था. छठ पूजा के आखिरी दिन लोगों ने उगते भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर महापर्व का समापन किया.
मान्यता है कि छठी मइया देती हैं संतान की प्राप्ति का आशाीर्वाद. छठी मइया का पवित्र व्रत रखने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है. यश, पुण्य और कीर्ति का उदय होता है. दुर्भाग्य समाप्त हो जाते हैं. निसंतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है. छठ पूजा का सबसे महत्व पूर्ण अंग व्रत के दौरान पवित्रता और भगवान सूर्य को अर्घ्य देना है. इस पूरे व्रत में दो बार अर्घ्य दिया जाता है. पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि के दिन अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है. दूसरा अर्घ्य सूर्य उदय होने पर दिया जाता है. ऐसे में सूर्यास्त और सूर्योदय का समय जानना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. क्योंकि कई बार धुंध व बदली के चलते सूर्य भगवान दिखाई नहीं देते ऐसे में सूर्योदय का टाइम देखकर ही अर्घ्य देने की रस्म पूरी की जाती है.