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रांची/डेस्क: प्रतिबंधित मांस की बिक्री के मामले में अदालत ने 9 आरोपियों को बरी कर दिया है, क्योंकि पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में मामला साबित नहीं हो सका. इस मामले में तीन साल तक कोई भी गवाह या जांच अधिकारी अदालत में पेश नहीं हुआ, जिसका सीधा लाभ आरोपियों को मिला.
अपर न्यायायुक्त शैलेंद्र कुमार की अदालत ने गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया. बचाव पक्ष के अधिवक्ता जितेंद्र कुमार ने बताया कि अदालत ने आरोपियों निकोलस बारला, अनिल बारला, समीर बारला, रिमीस बारला, हिलारूस बारला, प्रदीप बारला, आसित बारला, बिनोद बारला और बुधु उर्फ बुधवा मुंडा को बरी कर दिया.
क्या था मामला?
इन आरोपियों पर लॉकडाउन के दौरान गौवंशीय पशु का वध कर उसका मांस बेचने का आरोप था. घटना को लेकर लापुंग थाना में पदस्थापित एसआई मनीष कुमार पुरती ने 18 जून 2020 को प्राथमिकी दर्ज की थी. हालांकि, इस मामले में सिर्फ एक गवाह विकास कुमार पांडेय की गवाही तीन साल में हो पाई, और न ही जांच अधिकारी एसआई सुशील कुमार मरांडी और न ही सूचक एसआई मनीष कुमार पुरती अदालत में उपस्थित हुए.
साक्ष्य का अभाव
अदालत में आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य पेश नहीं किए जा सके, जिसके चलते अदालत ने उन्हें बरी कर दिया. विशेषज्ञों के अनुसार, मामले में गवाहों की कमी और अधिकारियों की लापरवाही ने आरोपियों को कोर्ट से राहत दिलाने का मौका दिया.
आरोपियों को राहत
इस फैसले ने उन आरोपियों को राहत दी है, जिन पर लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए प्रतिबंधित मांस की बिक्री करने का आरोप था. अब यह मामला समाप्त हो गया है, और आरोपियों को कानूनी तौर पर दोषमुक्त कर दिया गया है.