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रांची/डेस्क: Private Medical College MBBS Students- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों के पक्ष में एक फैसला सुनाया है. जिसे लेकर देशभर के सभी एमबीबीएस छात्रों में खुशी की लहर है. बता दें, यह फैसला एमबीबीएस की पढ़ाई के बाद ग्रामीण इलाकों में अनिवार्य सेवा को लेकर था, जिसमें कहा गया था कि एमबीबीएस (MBBS) की पढ़ाई करने के बाद सभी अभ्यर्थियों को एक निश्चित समय तक ग्रामीण इलाकों में नौकरी करनी होगी.
याचिकाकर्ता से पूछा कि इसमें गलत क्या है ?- SC
सुप्रीम कोर्ट इस बात की जांच करने के लिए तैयार हो गया है कि याचिका में की गई मांगें पूरी की जा सकती हैं या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि इसमें गलत क्या है. क्या निजी संस्थानों से पढ़ने वाले लोगों की देश के विकास के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं है? सिर्फ इसलिए कि आपने निजी अस्पताल (Private hospital) या निजी कॉलेज (Private college) से पढ़ाई की है, क्या आपको ग्रामीण इलाकों में काम करने से छूट मिलनी चाहिए?
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा, ऐसा क्या है जो आपको यह आजादी देता है कि चूंकि आपने प्राइवेट मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की है, इसलिए आप ग्रामीण इलाके में काम नहीं कर सकते? शीर्ष अदालत के इस सवाल के बाद याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि छात्रों को मेडिकल कोर्स की फीस में वह छूट नहीं मिली है जो सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस में छात्रों को मिलती है. इसलिए उन्हें इस अनिवार्य सेवा से राहत दी जाए.
जानें क्या था पूरा मामला
बता दें, इस मामले पर जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजय करोल की बेंच में सुनवाई हुई. कर्नाटक सरकार के फैसले के खिलाफ एक मेडिकल छात्र ने याचिका दायर की थी. इस फैसले में कर्नाटक सरकार ने सभी मेडिकल छात्रों के लिए 1 साल की अनिवार्य सार्वजनिक ग्रामीण सेवा लागू कर दी है. इसके बिना डिग्री पूरी होने के बाद भी कर्नाटक मेडिकल काउंसिल (Karnataka Medical Council) में स्थायी पंजीकरण नहीं किया जा सकता है.