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रांची/डेस्कः आयुर्वेदिक कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन से जुड़े मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संस्था की ओर से विज्ञापन प्रकाशित करने पर अब पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया है. वहीं अब इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव को नोटिस जारी करते हुए कोर्ट में सामने पेश होने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने उनसे पूछा है कि उनके खिलाफ आखिर अवमानना की कार्यवाही क्यो न शुरू कर दी जाए. मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने रामदेव के वकील से सवाल पूछते हुए खहा कि अबतक आपने जवाब दाखिल क्यों नहीं किया है. अब हम अदालत में आपके मुवक्किल को पेश होने को कहेंगे. रामदेव को पक्षकार बनाएंगे. मामले में आचार्य बालकृष्ण और रामदेव दोनों को कोर्ट में पेश होना पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में बम सुनवाई टालने नहीं जा रहे. यह बिल्कुल साफ बाद है.
वहीं, केंद्रीय आयुष मंत्रालय को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि जवाब दाखिल एक दिन पहले क्यों किया. इसपर मंत्रालय ने कोर्ट को जवाब देते हुए बताया कि इसके समुचित जवाब देने के लिए वक्त चाहिए. आपको बता दें, भ्रामक विज्ञापन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले ही पतंजलि आयुर्वेद को अवमानना नोटिस जारी किया था. इसके साथ ही आचार्य बालकृष्ण को भी दिया गया था. जिसमें कोर्ट ने ती हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे. मगर मामले में जवाब नहीं दिया गया था.
आईएमए ने पतंजलि आयुर्वेद पर लगाय था आरोप
बता दें, पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन करने का आरोप लगाते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि पतंजलि आयुर्वेद ने कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर एक कैंपेन आयोजित किया था. जिसपर कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद कंपनी की तरफ से भ्रामक और झूठे विज्ञापन बंद होने चाहिए. की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कोर्ट में दायर याचिका में यह भी कहा था कि एलोपैथी दवाइयों की पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन से उपेक्षा हो रही है. आगे कहा था कि पतंजलि के दावों की पुष्टि नहीं हुई है और यह कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 और ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 जैसे कई कानूनों का सीधा उल्लंघन है.